Bengaluru-Mysore Expressway: बेंगलुरु-मैसूर एक्सप्रेसवे, जो कर्नाटका राज्य में दो प्रमुख शहरों के बीच तगड़ी कनेक्टिविटी के लिए जाना जाता है, अब टोल शुल्क संग्रहण की प्रक्रिया में पूरी तरह से शुरू हो चुका है। इस एक्सप्रेसवे के निर्माण और टोल वसूली से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई है, जिन्हें जानना आपके लिए जरूरी है।
बेंगलुरु-मैसूर एक्सप्रेसवे की निर्माण लागत और टोल शुल्क
बेंगलुरु-मैसूर एक्सप्रेसवे की कुल लंबाई 119 किलोमीटर है और इसकी निर्माण लागत 4,473 करोड़ रुपये (भूमि अधिग्रहण को छोड़कर) आई है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार, इस एक्सप्रेसवे पर टोल शुल्क के माध्यम से अब तक निर्माण लागत का 10 प्रतिशत वसूला जा चुका है। यह आंकड़ा उन पहले 18 महीनों में प्राप्त हुआ जब टोल वसूली शुरू की गई थी।
टोल शुल्क में संशोधन
बेंगलुरु-मैसूर एक्सप्रेसवे पर टोल वसूली में कई संशोधन किए गए हैं। शुरूआत में राजनीतिक दलों और विभिन्न संगठनों ने टोल शुल्क पर विरोध जताया था, खासकर तब जब सर्विस रोड तैयार नहीं थी। इसके बावजूद, टोल संग्रह जारी रखा गया और समय-समय पर दरों में बदलाव किया गया।
टोल दरों में पहला संशोधन 1 जुलाई 2023 को हुआ था, जब 1 अप्रैल 2023 से टोल दरों में बढ़ोतरी की गई थी। इसके बाद एक और संशोधन हुआ, खासकर लोकसभा चुनाव के बाद। अब, टोल शुल्क विभिन्न टोल प्लाजा पर बदलते रहते हैं।
बेंगलुरु-मैसूर एक्सप्रेसवे पर टोल वसूली की शुरुआत
बेंगलुरु-मैसूर एक्सप्रेसवे पर टोल वसूली की शुरुआत 1 जुलाई 2023 को हुई थी और इस दौरान शानदार संग्रह हुआ है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में, 270.96 करोड़ रुपये का टोल संग्रह हुआ, और वित्तीय वर्ष 2024-25 में 167.32 करोड़ रुपये का संग्रह हुआ। इस साल के बाकी चार महीनों में भी टोल राजस्व में बढ़ोतरी की उम्मीद जताई जा रही है।
एक्सप्रेसवे का पहला चरण और उद्घाटन
बेंगलुरु-मैसूर एक्सप्रेसवे का पहला चरण, जो बेंगलुरु से निदाघट्टा तक फैला है, दिसंबर 2022 में पूरा हुआ था। इस चरण का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मार्च 2023 को किया था। उद्घाटन के बाद, टोल संग्रहण की प्रक्रिया भी शुरू हो गई और इसके बाद एक्सप्रेसवे के विकास के साथ ही इससे जुड़े कई अन्य सुधार भी किए गए।