Rajasthan News: राजस्थान सरकार का बड़ा प्रोजेक्ट! 200 किलोमीटर लंबी नहर से किसानों को मिलेगा बड़ा लाभ, इन जिलों को चीरकर निकलेगी, जानें

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Rajasthan News: राजस्थान में जल संकट, खासकर सिंचाई के लिए पानी की कमी, एक बड़ी समस्या रही है। हालांकि, हाल ही में राज्य सरकार ने इस समस्या का समाधान करने के लिए एक बड़ी परियोजना की शुरुआत की है। पार्वती-कालीसिंध-चंबल ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (PKC-ERCP) के तहत राजस्थान के तीन जिलों में 200 किलोमीटर लंबी नहर बनाई जाएगी, जिससे क्षेत्र के किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिलेगा। यह परियोजना राज्य के कृषि क्षेत्र को प्रोत्साहित करने और जल संकट को दूर करने में मददगार साबित होगी।

परियोजना का उद्देश्य

राजस्थान के जल संकट को दूर करने के लिए PKC-ERCP परियोजना शुरू की गई है, जिसमें चंबल नदी का पानी बीसलपुर और ईसरदा बांधों तक लाया जाएगा। इसके बाद, इस पानी का उपयोग कृषि और पेयजल आपूर्ति के लिए किया जाएगा। इस परियोजना से न केवल किसानों को फायदा होगा, बल्कि यह क्षेत्र के विकास में भी अहम भूमिका निभाएगी।

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परियोजना के लाभ

किसानों को अधिक जल उपलब्ध होगा, जिससे कृषि उत्पादकता में वृद्धि होगी। प्रदेश के कई क्षेत्रों में पेयजल की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित होगी। जल संग्रहण प्रणाली के निर्माण से भू-जल स्तर में सुधार होगा। पानी की उपलब्धता के साथ औद्योगिक क्षेत्र भी बढ़ेगा, जिससे स्थानीय रोजगार के अवसर पैदा होंगे। बाढ़ और सूखा जैसी घटनाओं को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।

परियोजना का पहला चरण

इस परियोजना के पहले चरण में, रामगढ़-महलपुर बैराज और नवनेरा पंप हाउस का निर्माण किया जाएगा। इस कार्य के लिए कोटा और बारां जिले की किशनगंज, मांगरोल, बारां और दीगोद तहसील में कुल 4694.247 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा। इस अधिग्रहण से 5046 परिवार प्रभावित होंगे, जिनकी जमीनें इस परियोजना के लिए ली जाएंगी। हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि परियोजना के लाभों को देखते हुए, इस बदलाव से सभी को लंबे समय में फायदा होगा।

विरोध और जनसुनवाई

हालांकि इस परियोजना के लाभ स्पष्ट हैं, लेकिन कुछ प्रभावित ग्रामीणों ने अपनी चिंताएँ भी व्यक्त की हैं। इन लोगों का कहना है कि इस परियोजना के तहत उनकी भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है, जिससे उनकी आजीविका पर असर पड़ सकता है। परियोजना की अनुबंधित कंपनी ने जनसुनवाई आयोजित करने की तैयारी की है, ताकि प्रभावित ग्रामीणों की चिंताओं को सुना जा सके और उनका समाधान किया जा सके।

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