National Lok Adalat: उत्तर प्रदेश सरकार और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा प्रदेश के सभी 75 जनपदों में 14 दिसंबर को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जाएगा। यह अदालत दीवानी, फौजदारी, राजस्व और प्री-लिटिगेशन वैवाहिक विवादों के समाधान के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बनेगी। इस लोक अदालत का उद्देश्य समय और धन की बचत करते हुए विवादों का निपटारा करना है, जिससे अदालतों पर बोझ कम हो और पक्षकारों को शीघ्र न्याय मिल सके।
राष्ट्रीय लोक अदालत में विभिन्न प्रकार के मामलों का समाधान किया जाएगा, जैसे शमनीय आपराधिक मामले, बिजली और पानी के बिलों से संबंधित मामले, चेक बाउंस, मोटर दुर्घटना प्रतिकर वार, बैंक रिकवरी और अन्य सिविल वादों का समाधान सुलह-समझौते के माध्यम से किया जाएगा।
राष्ट्रीय लोक अदालत में दिए गए निर्णय को अंतिम माना जाता है। इसका मतलब है कि इस निर्णय की अपील किसी अन्य न्यायालय में नहीं की जा सकती। साथ ही, लोक अदालत में जो कोर्ट फीस अदा की गई है, वह पक्षकारों को वापस मिल जाएगी। यह निर्णय सिविल न्यायालय के निर्णय के समान बाध्यकारी होता है, जिससे दोनों पक्षों के लिए यह एक मजबूत और स्थायी समाधान प्रदान करता है।
राष्ट्रीय लोक अदालत में प्री-लिटिगेशन वैवाहिक विवादों का भी समाधान किया जाएगा। यह विवाद उन दंपत्तियों के बीच उत्पन्न होते हैं जिनके बीच विभिन्न कारणों से मतभेद होते हैं। प्री-लिटिगेशन वैवाहिक विवादों के समाधान के लिए पति या पत्नी को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में एक प्रार्थना पत्र देना होगा, जिसमें वह विवाद का संक्षिप्त विवरण देंगे। इसके बाद विपक्षी को नोटिस भेजकर बुलाया जाएगा।
पारिवारिक न्यायालय के न्यायाधीश और मध्यस्थ अधिवक्ता की पीठ दोनों पक्षों की बैठक कराकर सुलह-समझौते के माध्यम से विवाद का समाधान करेगी। पीठ की ओर से समझौते पर आधारित निर्णय लोक अदालत में पारित किया जाएगा, जो अंतिम और बाध्यकारी होगा। इस निर्णय के विरुद्ध किसी अन्य न्यायालय में अपील दायर नहीं की जा सकती।
यदि आप अपने किसी लंबित वाद का समाधान राष्ट्रीय लोक अदालत के माध्यम से करना चाहते हैं, तो आप संबंधित न्यायालय के पीठासीन अधिकारी या अपने जनपद के जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं। आप आसानी से अपने मामले को लोक अदालत में नियत करवा सकते हैं।
राष्ट्रीय लोक अदालत में समाधान होने वाले मामले
शमनीय आपराधिक मामले
बिजली और पानी के बिल से संबंधित शमनीय दंडवाद
चेक बाउंस से संबंधित धारा-138 एनआई एक्ट
बैंक रिकवरी मामले
राजस्व वाद
मोटर दुर्घटना प्रतिकर वार
सिविल वाद