Supreme Court: हिन्दू महिला के संपत्ति अधिकारों पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला! पति की संपत्ति पर होगा इतना अधिकार, जानें

Clin Bold News
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Supreme Court: हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने हिन्दू महिला के संपत्ति अधिकारों पर एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। यह फैसला हिन्दू महिला को हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के तहत संपत्ति पर अधिकार की व्याख्याओं के मामले में था, जो कि पिछले कई दशकों से अदालतों में लंबित था। कोर्ट ने इस विषय को सुलझाने के लिए एक बड़े पीठ को निर्देशित किया है, ताकि यह फैसला भारतीय समाज और कानून व्यवस्था में व्याप्त इस उलझन को समाप्त किया जा सके।

क्या एक हिन्दू पत्नी के पास संपत्ति पर पूर्ण स्वामित्व है?

यह मामला 1965 में कंवर भान नामक व्यक्ति की वसीयत से जुड़ा है। कंवर भान ने अपनी पत्नी को एक जमीन पर जीवनभर अधिकार दिया था, लेकिन एक शर्त रखी थी कि पत्नी की मृत्यु के बाद यह संपत्ति उनके उत्तराधिकारियों के पास वापस चली जाएगी। कुछ साल बाद, पत्नी ने उस जमीन को बेच दिया और यह दावा किया कि वह संपत्ति की पूर्ण मालिक हैं। इसके बाद उनके बेटे और पोते ने इस बिक्री को चुनौती दी और मामला अदालतों में चला गया।

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इस मामले में पहले निचली अदालतों ने 1977 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले तुलसम्मा बनाम शेष रेड्डी का हवाला देते हुए पत्नी के पक्ष में फैसला सुनाया। इस फैसले में हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 14(1) के तहत महिलाओं को संपत्ति पर पूर्ण अधिकार देने की बात की गई थी। वहीं, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने 1972 के कर्मि बनाम अमरु के फैसले का हवाला दिया, जिसमें वसीयत की शर्तों को संपत्ति के अधिकारों पर प्रतिबंध लगाने वाला माना गया था।

सुप्रीम कोर्ट का रुख

सुप्रीम कोर्ट ने अब इस मामले को एक बड़े पीठ के पास भेजने का निर्णय लिया है। न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि यह मामला सिर्फ कानूनी बारीकियों का नहीं है, बल्कि लाखों हिन्दू महिलाओं के संपत्ति अधिकारों से जुड़ा है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह निर्णय सिर्फ कानूनी दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि समाज और परिवारों पर इसके प्रभाव के लिहाज से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम और इसके प्रावधान

हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की धारा 14(1) हिन्दू महिलाओं को संपत्ति पर स्वामित्व का अधिकार प्रदान करती है। यह एक प्रगतिशील कदम था, जिसके तहत महिलाओं को संपत्ति पर पूर्ण अधिकार दिए गए थे। लेकिन धारा 14(2) में कुछ अपवाद भी हैं, जिसमें कहा गया है कि वसीयत या उपहार में दी गई संपत्ति का स्वामित्व स्वचालित रूप से पूरी तरह से नहीं बदल सकता। इस कारण से, इस मामले में यह विवाद उत्पन्न हुआ कि क्या वसीयत में रखी गई शर्तें हिन्दू महिलाओं के संपत्ति अधिकारों को धारा 14(1) के तहत सीमित कर सकती हैं या नहीं।

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