8th Pay Commission: केंद्र सरकार के कर्मचारियों ने आठवें वेतन आयोग के गठन की मांग तेज़ कर दी है। हाल ही में संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान इस मुद्दे पर चर्चा हुई, जब सांसदों ने केंद्र सरकार से आठवें वेतन आयोग के गठन पर सवाल उठाए। इसके जवाब में केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया कि फिलहाल इस संबंध में कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। इसके बाद, कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स के महासचिव एसबी यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर आठवें वेतन आयोग के गठन की मांग की है।
क्यों जरूरी है आठवें वेतन आयोग का गठन?
एसबी यादव के पत्र में यह स्पष्ट किया गया है कि मुद्रास्फीति के बढ़ते स्तर को देखते हुए 10 साल के बजाय वेतन संशोधन हर 5 साल में किया जाना चाहिए। उनका कहना है कि पिछले 9 वर्षों में मजदूरी के वास्तविक मूल्य में भारी गिरावट आई है, विशेष रूप से कोविड-19 के बाद। उच्च मुद्रास्फीति और जीवन यापन की लागत में वृद्धि ने कर्मचारियों की स्थिति को कठिन बना दिया है। यादव ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि वेतन आयोग का गठन जल्द से जल्द किया जाए ताकि कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के जीवन स्तर को बेहतर बनाया जा सके।
आठवें वेतन आयोग के गठन के प्रमुख कारण
वर्तमान में डीए (Dearness Allowance) पात्रता का प्रतिशत 53% से अधिक हो गया है। मुद्रास्फीति के कारण कर्मचारियों का असली वेतन घट चुका है, और उन्हें अपने जीवन यापन के लिए अधिक धन की आवश्यकता है। महामारी के बाद, सरकारी कर्मचारियों को विपरीत परिस्थितियों में काम करना पड़ा है, लेकिन वेतन में कोई बदलाव नहीं आया है।
भारतीय सरकार को अपनी सेवाओं के लिए बेहतर और सबसे अच्छा टैलेंट आकर्षित करने के लिए वेतन संरचना में सुधार की आवश्यकता है। पिछले 9 वर्षों में वस्त्र, खाद्य सामग्री, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे जरूरी सामानों की कीमतें कई गुना बढ़ चुकी हैं, जबकि वेतन संरचना में कोई उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हुई है।
5 साल में वेतन संशोधन क्यों जरूरी है?
कॉन्फेडरेशन ने यह भी बताया कि पब्लिक सेक्टर और बैंक कर्मचारियों का वेतन हर 5 साल में संशोधित किया जाता है, इसलिए केंद्र सरकार के कर्मचारियों का वेतन भी 5 साल के अंतराल पर संशोधित किया जाना चाहिए। इससे न केवल कर्मचारियों की संतुष्टि बढ़ेगी बल्कि सरकारी सेवा में उत्कृष्टता भी बनी रहेगी।
केंद्र सरकार की जिम्मेदारी
केंद्र सरकार की भूमिका केवल आर्थिक योजनाओं तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि उसे अपने कर्मचारियों के जीवन स्तर को सुधारने का भी ध्यान रखना चाहिए। एक अच्छा वेतन पैकेज कर्मचारियों को न केवल मानसिक शांति देता है, बल्कि यह सरकार के कार्यक्रमों और नीतियों को प्रभावी रूप से लागू करने में भी मदद करता है।