Ayodhya Ram mandir : रामलला की मूर्ति का रंग काला रखने के पीछे बड़ा राज, देखें पूरी जानकारी

Clin Bold News
4 Min Read
InShot 20240124 144516069

Ayodhya Ram mandir : अयोध्या में रामलला की मूति की प्राण प्रतिष्ठा की गई है, लेकिन काफी लोग रामलाल की मूर्ति के रंग को लेकर सवाल उठा रहे हैं और उनका कहना है कि रामलाल की मूर्ति का रंग काला नहीं होना चाहिए था, लेकिन इसके जानकार इस रंग को सही मान रहे हैं। उनका मानना है कि यह रंग रामायण के किए गए जिक्र के हिसाब से सही हैं। हालांकि मूर्ति की बनवाट को हर किसी ने पंसद किया गया है। इस तरह की मूर्ति बनाने के पीछे काफी कारण हैं।

 

जानकाओं के अनुसार महर्षि वाल्‍मीकि रामायण में भगवान श्री राम के श्यामल रूप का वर्णन किया गया है। यह भी एक वजह है कि उनकी मूर्ति का रंग श्यामल है। कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बहुत ही खूबसूरत मूर्ति की कारीगरी की है। मूर्ति का निर्माण श्याम शिला के पत्थर से किया गया है। इस पत्थर का उपयोग करने के पीछे भी एक वजह है। श्याम शिला की आयु हजारों वर्ष मानी जाती है। ऐसे में श्री राम की मूर्ति हजारों सालों तक अच्छी अवस्था में रहेगी और इसमें किसी भी तरह का बदलाव नहीं आएगा।

ये भी पढ़ें :   Farmer protest : दातासिंहवाला खनौरी बार्डर पर एक और किसान की मौत, दिल्ली-चंडीगढ़ हाईवे को 2 जिलों में आंशिक तौर पर खोला रास्ता

 

 

जल, दूध, चंदन से नहीं होगा मूर्ति को नुकसान
हिंदू धर्म में हर देवी देवता के पूजा पाठ के अंदर जल या दूध का अभिषेक किया जाता है। इस दौरान मूर्ति के ऊपर चंदन भी लगाया जाता है, लेकिन अयोध्या में लगाई गई रामलाल की मूर्ति पर जल, चंदन, रोली या दूध से भी नुकसान नहीं पहुंचेगा। जब रामलला का दूध से अभिषेक किया जाएगा तो दूध के गुण में पत्थर की वजह से कोई बदलाव नहीं होगा। उस दूध का सेवन करने पर स्वास्थ्य पर कोई गलत असर नहीं पड़ेगा।

 

 

मूर्ति का यह बनाया गया आकार
अयोध्या में लगाई गई मूर्ति को बेहतर तरीके से बनाया गया है। रामलला की 51 इंच की प्रतिमा खड़ी मुद्रा में है। मूर्ति का वजन 200 किलो है और इसकी ऊंचाई 4.25 फीट और चौड़ाई 3 फीट है। रामलला पीतांबर से सुशोभित हैं और हाथों में धनुष बाण धारण किए हुए हैं। उन्होंने सोने का कवच कुंडल, करधन माला धारण की हुई है। रत्न से जड़े मुकुट का वजन 5 किलो बताया जा रहा है। उनके मुकुट में नौ रत्न सुशोभित हैं और गले में सुंदर रत्नों की माला पहनी हुई है। कमरबंद भी सोने से बना है। आभूषणों में रत्न, मोती, हीरे शामिल हैं।

ये भी पढ़ें :   Top news headlines : गायक पंकज उधास का निधन; इनेलो नेता राठी की हत्या की CBI जांच होगी; भारत ने इंग्लैंड से टेस्ट सीरीज जीती

 

राम मंदिर में रामलला के बाल स्वरूप की मूर्ति स्थापित की गई है। हिंदू धर्म में बाल्यकाल को 5 साल की उम्र तक माना जाता है। इसके बाद बालक को बोधगम्य माना जाता है। चाणक्य और दूसरे विद्वानों के मुताबिक पांच साल की उम्र तक बच्चे की हर गलती माफ होती है, क्योंकि वो अबोध होता है। उस उम्र तक केवल उसे सिखाने का काम किया जा सकता है।

Share This Article