1,500 करोड़ की लागत से बन रहा शानदार एक्सप्रेसवे! यह सुविधा बनाएगी इसे अन्य एक्सप्रेसवे से अलग, जानें

Clin Bold News
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Exspressway

Expressway: लखनऊ से कानपुर के बीच बनने वाला अवध एक्सप्रेस-वे न केवल दोनों शहरों के बीच यात्रा को तेज करेगा, बल्कि यह अत्याधुनिक तकनीक का भी बेहतरीन उदाहरण बनेगा। इस एक्सप्रेस-वे का निर्माण दो हिस्सों में किया जा रहा है, जिसमें 63 किलोमीटर लंबा मार्ग शामिल है।

अवध एक्सप्रेस-वे की कुल लंबाई 63 किलोमीटर है। इसमें से 45 किलोमीटर का क्षेत्र ग्रीन फील्ड क्षेत्र के रूप में विकसित किया जा रहा है, जबकि 18 किलोमीटर का क्षेत्र सामान्य एक्सप्रेस-वे के तहत आएगा। ग्रीन फील्ड क्षेत्र में उच्चतम मानकों को ध्यान में रखते हुए सड़क को समतल बनाया जाएगा, जिससे वाहन चालक को झटके नहीं महसूस होंगे। इसके निर्माण में GPS (वैश्विक स्थान निर्धारण प्रणाली) और थ्रीडी तकनीक का उपयोग किया जा रहा है.

यह तकनीक सड़क की परतों की मोटाई और निर्माण की गुणवत्ता पर निगरानी रखने में मदद करेगी। इसके द्वारा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सड़क निर्माण में कोई गड़बड़ी न हो। अमेरिका की ट्रिंबल कंपनी से सहयोग लेकर, इस एक्सप्रेस-वे का निर्माण किया जा रहा है। थ्रीडी मॉडल और GPS डिवाइस की मदद से सड़क की ऊपरी और निचली सतह की सही जानकारी मिलती है। निर्माण कार्य में कोई भी कमी या गड़बड़ी होने पर, उसे तुरंत सही किया जाएगा, जिससे सड़क की गुणवत्ता उच्चतम स्तर पर बनी रहेगी।

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इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण से लखनऊ और कानपुर के बीच की यात्रा का समय आधा हो जाएगा। इसका सीधा असर व्यापार और पर्यटन पर पड़ेगा, जिससे दोनों शहरों के बीच कनेक्टिविटी बेहतर होगी। यह एक्सप्रेस-वे कानपुर के उद्योग पथ से जुड़ा होगा, जिससे उद्योग और व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा, यह लखनऊ के बाहरी रिंग रोड और गंगा एक्सप्रेस-वे से भी जुड़ेगा, जिससे क्षेत्रीय यातायात में भी सुधार होगा।

इस एक्सप्रेस-वे में तीन बड़े पुल, 28 छोटे पुल, 38 अंडरपास और 6 फ्लाईओवर शामिल होंगे। यह यातायात के सुगम संचालन में मदद करेगा और ट्रैफिक जाम की समस्या को कम करेगा। केंद्र सरकार ने 2018 में इस परियोजना को मंजूरी दी थी और 2019 में भूमि अधिग्रहण शुरू किया गया। 2022 में केंद्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गड़करी और केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह तथा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसकी आधारशिला रखी थी। निर्माण की जिम्मेदारी आगरा की पीएनसी कंपनी को दी गई थी।

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