gram panchyat : सभी जिलों की लिस्ट बनी, जींद की भी दो ग्राम पंचायतें शामिल
हरियाणा में गांवों में विकास कार्य नहीं करवाने वाली ग्राम पंचायतों पर सरकार जल्द ही कार्रवाई कर सकती है। इसके अलावा जो ग्राम पंचायत काम करवा रही है और मिलने वाले बजट का 75 प्रतिशत से ज्यादा बजट खर्च कर चुकी हैं, उनहें इंसेटिव भी दिया जाएगा। पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली ने यह बयान जारी करते हुए कहा कि उनके पास काम नहीं करवाने वाली ग्राम पंचायतों की लिस्ट पहुंच चुकी है। जल्द ही कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा पंचायतों के फंड को लेकर केंद्र सरकार की ओर से भी गाइडलाइन आई हैं, जिसमें सरकारी खजाने के फंड पर लेखा-जोखा रखने को कहा गया है।
44 पंचायतों ने फंड नहीं किया खर्च
हरियाणा में 44 पंचायतें ऐसी हैं, जिन्होंने सरकार द्वारा दी गई ग्रांट को ख़र्च ही नहीं किया है। इन पंचायतों के खिलाफ सरकार की ओर से संबंधित जिलों के डिप्टी कमिश्नरों को कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। इसकी पुष्टि सूबे के पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली ने की। उन्होंने कहा है कि सरकार अपनी तरफ से पंचायतों के विकास को लेकर कोई कमी नहीं छोड़ रही है। इसके बाद भी पंचायतें गांव के विकास पर ध्यान नहीं दे रही हैं।
सरकार पंचायतों से मांगेगी स्पष्टीकरण
हरियाणा में जो पंचायतें फंड खर्च करने में कंजूसी कर रही हैं, उनसे सरकार स्पष्टीकरण मांगेगी। यदि पंचायतों के द्वारा जानबूझकर फंड खर्च नहीं किया है तो उनके ख़िलाफ सरकार सख्त कार्रवाई करेगी। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भी पंचायत मंत्री को ऐसी पंचायतों को चिह्नित कर उनके खिलाफ कार्रवाई करने की हिदायत दी है। देवेंद्र बबली का कहना है कि गांवों का शहरीकरण कैसे हो इसको लेकर सरकार अपने स्तर पर पूरी ताकत लगा रखी है।
हरियाणा में क्यों बने ऐसे हालात
हरियाणा में सरकार की ई-टेंडरिंग और राइट टू रिकॉल के खिलाफ अभी भी कुछ पंचायतें विरोध कर रही हैं। सरकार के इस फैसले के खिलाफ लगभग हर जिले में कुछ पंचायतें ऐसी हैं, जो अभी भी अपना आंदोलन जारी रखे हुए हैं। जबकि ई- टेंडरिंग के विरोध कर रहे सरपंचों को लेकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर पहले ही कह चुके है कि ई- टेंडरिंग के माध्यम से सरकार ने पंचायतों की शक्तियां कम नहीं की हैं बल्कि बढ़ाई हैं। सरपंचों को भी अब सुशासन के हिसाब से चलना होगा।
ये है ई-टेंडरिंग
ग्राम पंचायतों में होने वाले कामों में भ्रष्टाचार को रोकने का दावा करते हुए हरियाणा सरकार ने ई-टेंडरिंग की प्रक्रिया बनाई है जिसके तहत 2 लाख से अधिक का काम करवाने के लिए ई-टेंडर जारी किया जाएगा। फिर अधिकारियों की देखरेख में ठेकेदारों से काम करवाया जाएगा। इसके अलावा सरपंचों को गांवों के विकास कार्यों के बारे में सरकार को ब्योरा देना होगा. सरकार का मानना है कि ऐसा करने से भ्रष्टाचार को रोकने में कामयाबी मिलेगी।
क्या है राइट टू रिकॉल?
राइट टू रिकॉल के तहत अब हरियाणा के गांवों के लोगों के पास ये अधिकार आ गया है कि अगर सरपंच गांव में विकास कार्य नहीं कराएगा तो उसे कार्यकाल खत्म होने से पहले भी हटाया जा सकता है। सरपंच को हटाने के लिए गांव के ही 33 प्रतिशत मतदाताओं को लिखित शिकायत संबंधित अधिकारी को देनी होगी, जिसके बाद सरपंच को हटाया जा सकता है। यह अधिकार खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी तथा सीईओ के पास जा सकता है।