Fog Device : रेल इंजनों में लगेगी फॉग डिवाइस, रेवाड़ी से अलवर व नारनौल रूट 1500 लगाए जाएंगे
उत्तर भारत में सर्दियों के मौसम में घने कोहरे के कारण रेल यातायात के बाधित होने और दुर्घटना के जोखिम को देखते हुए रेलवे प्रशासन ने अपनी तैयारियों तेन कर दी हैं। रेलवे अधिकारियों के अनुसार उत्तर पश्चिम रेलवे के जयपुर और बीकानेर मंडल के संवेदनशील रेलखंड, जिनमें रेवाड़ी जंक्शन से अलवर और नारनौल जैसे मार्ग शामिल हैं।
रेवाड़ी जंक्शन के आसपास का क्षेत्र कोहरे से काफी प्रभावित रहते हैं। इनपर सुरक्षित रेल संचालन सुनिश्चित करने के लिए विशेष अतिरिक्त प्रबंध लागू किए जा रहे हैं।
रेलवे ने इंजीनियरिंग, सिग्नल एवं दूरसंचार, विद्युत, यांत्रिक, परिचालन और संरक्षा विभाग द्वारा संरक्षित संचालन हेतु दिशानिर्देश जारी किए हैं। लोको पायलटों को प्रशिक्षित करने के साथ ही, रेल इंजनों में अत्याधुनिक फॉग सेफ्टी डिवाइस लगाए जा रहे हैं।
संपूर्ण उत्तर पश्चिम रेलवे पर करीब 1500 फॉग सेफ्टी डिवाइस उपलब्ध कराए गए हैं, जिनमें कोहरे वाले रेल खंडों की जीपीएस मैपिंग की गई है। यह उपकरण लोको पायलट को सिग्नल आने से पहले ही सतर्क करना शुरू कर देता है, जिससे वह गाड़ी की गति को नियंत्रित कर संरक्षा सुनिश्चित कर पाता है।
इसके अलावा, सिग्नल की सूचना देने के लिए प्रत्येक स्टेशन पर पॉइंट्समैन को डेटोनेटर (पटाखे) दिए जाएंगे। इन्हें होम सिग्नल से निश्चित दूरी पर पटरी पर लगाया जाता है। जब इंजन का पहिया इस पर से गुजरता है, तो तेज आवाज के साथ यह फूटता है, जिससे लोको पायलट को आगे सिग्नल आने की चेतावनी मिलती है और वह अपनी गति नियंत्रित करने की तैयारी करता है।
कोहरे से प्रभावित क्षेत्रों में फॉग डिवाइस के अलावा, रेलपथ पर रेडियम स्ट्रिप लगाकर गुड्स कोहरे से सबसे ज्यादा प्रभावित रहते हैं रेवाड़ी जंक्शन के आसपास के रूट डिवाइस कोहरे में लोको पायलट को सिग्नल आने से पहले कर देते है सतर्क वार्निंग बोर्ड की दृश्यता बढ़ाई जाएगी और सिग्नल के पास की गिट्टियों को चूना पट्टी से रंगा जाएगा।