
क्लीन बोल्ड न्यूज
सहारा समूह में निवेश करने वाले लोगों के लिए लंबे समय से बाद बड़ी राहत का समाचार आया है। सरकार ने राहत देखते हुए जल्द ही निवेशकों की राशि जारी करने के आदेश दिए हैं। इसके लिए निवेशकों को प्रक्रिया से गुजरना होगा और उनकी राशि को 45 दिन में बैंक खाते में भुगतान कर दिया जाएगा।
सरकार ने पहले चरण में पांच हजार करोड़ रुपये लौटाने की शुरुआत हो गई है। इसमें निवेशकों को शुरुआत में 10 हजार रुपये तक का भुगतान किया जाएगा। इसके बाद शेष राशि के लिए सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपील की जाएगी, ताकि प्रत्येक निवेशक को उसकी खून पसीने की कमाई फिर से मिल चुके।
शहारा समूह की चार समितियों में देश के लगभग दस करोड़ लोगों की राशि फंसी हुई है और इस राशि को लौटाने के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन कानूनी पेंच फंस जाने के कारण यह राशि उनको नहीं मिल पा रही है।
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने निवेशकों को राहत देखते हुए केंद्रीय पंजीयक-सहारा रिफंड पोर्टल की शुरुआत की। जिसे सहारा समूह की चार सहकारी समितियों के निवेशकों के दावे आमंत्रित करने के लिए विकसित किया गया है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि देश में पहली बार घोटाले में फंसा पैसा लौटाने की शुरुआत हुई है।
चारों समितियों में लगभग 1.78 करोड़ ऐसे निवेशक हैं, जिनका तीस हजार रुपये तक फंसा है। आवेदन के लिए पोर्टल पर समितियों का डेटा आनलाइन उपलब्ध है। अमित शाह ने आश्वस्त किया है कि भुगतान में किसी तरह की गड़बड़ी की गुंजाइश नहीं होगी। जिनके दावे में सत्यता नहीं होगी, उन्हें कुछ नहीं मिलेगा, लेकिन जिन्होंने निवेश किया है, उन्हें रिफंड मिलने से कोई रोक नहीं सकता।
सिर्फ शर्त है कि निवेशक का आधार कार्ड उसके मोबाइल एवं बैंक खाते से लिंक्ड हो। अमित शाह ने पोर्टल को पूरी तरह पारदर्शी बताया और कहा कि भुगतान प्रक्रिया डिजिटल और पेपरलेस है। सहकारिता मंत्रालय की वेबसाइट पर जरूरी दस्तावेज अपलोड कर दावा किया जा सकता है। आधार कार्ड से सत्यापन होगा। डेढ़ महीने के भीतर पैसे मिल जाएंगे। इसकी सूचना एसएमएस या पोर्टल के जरिए दी जाएगी।
भुगतान प्रक्रिया की निगरानी और पर्यवेक्षण सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश आर. सुभाष रेड्डी कर रहे हैं। उनकी सहायता के लिए वकील गौरव अग्रवाल को नियुक्त किया गया है। अमित शाह ने कहा कि कई बार घपले-घोटाले के आरोप लगते हैं और निवेशकों के पैसे फंस जाते हैं। जिनकी गाढ़ी कमाई सहारा की समितियों में फंसी है, अबतक उनपर किसी का ध्यान नहीं गया। ऐसे मामलों में सहकारी समितियों पर अविश्वास होने लग जाता है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अलग सहकारिता मंत्रालय बनाकर विचार किया कि क्या कोई ऐसी व्यवस्था बनाई जा सकती है जिसमें छोटे निवेशकों के बारे में भी सोचा जा सके। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई। कई वर्ष तक केस चला। समितियों की संपत्तियां और खाते सील कर दिए गए। सुप्रीम कोर्ट ने 29 मार्च 2023 को सहारा-सेबी रिफंड खाते से पांच हजार करोड़ सहकारी समितियों के केंद्रीय रजिस्ट्रार को हस्तांतरित करने और समिति बनाकर भुगतान की पारदर्शी प्रक्रिया प्रारंभ करने का निर्देश दिया।