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High Court Decision : युवावस्था में हुई गलती पर नहीं छीनी जा सकती नौकरी, 29 साल बाद नौकरी की बहाल 

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में साफ किया कि युवा उम्र में हुई किसी चूक जैसे पुराने, खत्म हो चुके आपराधिक मामले की जानकारी न देना को आधार बनाकर सरकारी नौकरी खत्म नहीं की जा सकती।
 
High Court Decision  युवावस्था में हुई गलती पर नहीं छीनी जा सकती नौकरी, 29 साल बाद नौकरी की बहाल

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में साफ किया कि युवा उम्र में हुई किसी चूक जैसे पुराने, खत्म हो चुके आपराधिक मामले की जानकारी न देना को आधार बनाकर सरकारी नौकरी खत्म नहीं की जा सकती। कोर्ट ने 29 साल पहले बर्खास्त किए गए एक सीआरपीएफ सिपाही की पुनर्नियुक्ति को बरकरार रखते हुए कहा कि कम उम्र में कई उम्मीदवार कानूनी औपचारिकताओं की बारीकियां समझ नहीं पाते, खासकर जब वे मामले में पहले ही बरी हो चुके हों।

हालांकि कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि पुनर्नियुक्ति के बावजूद कर्मचारी को न तो वेतन-भत्तों की पिछली अदायगी (बैक-वेज) मिलेगी और न ही कैडर में वरिष्ठता का लाभ। उसे केवल 1995 से अब तक की सेवा का मानसिक लाभदिया जाएगा। डिवीजन बेंच के जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा और जस्टिस रोहित कपूर ने यह आदेश केंद्र सरकार और कर्मचारी दोनों की अपीलों पर सुनवाई करते हुए दिए।

महेंद्रगढ़, हरियाणा निवासी कान्स्टेबल ज्ञानी राम को जून 1995 में सीआरपीएफ में नियुक्त किया गया था। वर्ष 1996 में उसकी सेवा इस आधार पर समाप्त कर दी गई कि उसने भर्ती प्रक्रिया के दौरान वर्ष 1993 के एक आपराधिक मामले की जानकारी नहीं दी थी। यह मामला आइपीसी की धारा 323, 325 और 34 के तहत दर्ज था, जिसमें वह एक दिसंबर 1994 को बरी हो चुका था यानी भर्ती शुरू होने से पहले ही।

बर्खास्तगी के खिलाफ ज्ञानी राम ने हाई कोर्ट की एकल पीठ का दरवाज़ा खटखटाया। 21 अगस्त 2019 के आदेश में एकल पीठ ने बर्खास्तगी को गलत ठहराते हुए पुनर्नियुक्ति का निर्देश दिया था, लेकिन बैक-वेज देने से इंकार कर दिया था। इसके खिलाफ केंद्र सरकार और कर्मचारी दोनों ने डिवीजन बेंच में अपील की। दोनों पक्षों को सुनने के बाद बेंच ने माना कि चूंकि बरी होने का आदेश भर्ती विज्ञापन जारी होने से पहले आ चुका था,

इसलिए इसे न बताने को इतनी गंभीर चूक नहीं माना जा सकता कि नौकरी ही खत्म कर दी जाए। कोर्ट ने कहा कि 23 साल के युवा उम्मीदवार से यह अपेक्षा नहीं की जा सकती कि वह कानूनी जटिलताओं को पूरी तरह समझ सके, खासकर तब जब वह मामले में निर्दोष साबित हो चुका हो।

बैक वेज और वरिष्ठता की मांग को कोर्ट ने किया खारिज

कर्मचारी की बैंक-वेज और वरिष्ठता की मांग को कोर्ट ने खारिज कर दिया। लेकिन सेवा की निरंतरता बरकरार रहेगी और 1995 से अब तक का मानसिक लाभ दिया जाएगा। कोर्ट ने केंद्र को ज्ञानी राम को दोबारा सेवा में लेने का निर्देश दिया है, लेकिन यह भी कहा कि पुनर्नियुक्ति उसके मेडिकल फिटनेस टेस्ट में पास होने पर ही लागू होगी।