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4,500 रुपये उधार लेकर शुरू किया बिजनेस! आज हैं 5539 करोड़ की कंपनी के मालिक, पढ़ें बिपिन हडवानी की सफलता की कहानी

 
4,500 रुपये उधार लेकर शुरू किया बिजनेस! आज हैं 5539 करोड़ की कंपनी के मालिक, पढ़ें बिपिन हडवानी की सफलता की कहानी
Sucess Story: बिपिन हडवानी, गोपाल स्नैक्स लिमिटेड के सीएमडी, एक प्रेरणादायक उद्यमिता की मिसाल हैं। उन्होंने शून्य से शुरुआत करके करोड़ों का बिजनेस खड़ा किया। उनका सफर हमें यह सिखाता है कि कड़ी मेहनत, धैर्य, और सही दिशा में काम करने से किसी भी मुश्किल को पार किया जा सकता है। आइए जानते हैं बिपिन हडवानी की जीवन यात्रा के बारे में। बिपिन हडवानी का प्रारंभिक जीवन बिपिन हडवानी का जन्म एक साधारण गांव के परिवार में हुआ था। उनके पिता एक छोटे से दुकान पर गुजराती नमकीन बनाकर आसपास के गांवों में बेचते थे। बचपन से ही बिपिन को अपने पिता के काम में दिलचस्पी थी। स्कूल के बाद वह अपने पिता के साथ नमकीन बेचने जाते थे, जहां उन्हें व्यापार की बारीकियां सीखने का अवसर मिला। बिजनेस की शुरुआत 1990 में, बिपिन ने अपने पिता से 4,500 रुपये उधार लेकर स्नैक्स का व्यवसाय शुरू किया। इस समय उन्होंने एक दोस्त के साथ मिलकर साझेदारी की, लेकिन चार साल बाद दोनों के बीच मतभेद हो गए और उन्होंने साझेदारी तोड़ दी। बिपिन को अपनी हिस्सेदारी के रूप में 2.5 लाख रुपये मिले, जिनसे उन्होंने गोपाल स्नैक्स की नींव रखी। गोपाल स्नैक्स का आरंभ 1994 में, बिपिन ने अपने घर को ही गोपाल स्नैक्स की पहली फैक्ट्री में बदल दिया। उनकी पत्नी ने उनका पूरा साथ दिया। इस दौरान, बिपिन ने राजकोट के बाजार को समझने के लिए साइकिल से दुकानदारों और व्यापारियों से मुलाकातें कीं। उनकी कड़ी मेहनत और प्रयासों ने रंग दिखाया, और गोपाल स्नैक्स की बिक्री बढ़ने लगी। मुश्किलों का सामना और सफलता बढ़ती मांग को देखते हुए, बिपिन ने शहर के बाहर एक प्लॉट खरीदा और वहां फैक्ट्री लगाने का निर्णय लिया। लेकिन फैक्ट्री शहर से दूर होने के कारण उसे बंद करना पड़ा। हालांकि, बिपिन ने हार नहीं मानी। उन्होंने कर्ज लेकर शहर के भीतर एक छोटी यूनिट शुरू की, जो बहुत सफल रही। इस यूनिट ने गोपाल स्नैक्स को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। गोपाल स्नैक्स की सफलता आज गोपाल स्नैक्स भारत का चौथा सबसे बड़ा पारंपरिक स्नैक्स ब्रांड बन चुका है। कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन लगभग 5,539 करोड़ रुपये है। यह सफलता बिपिन हडवानी के जज्बे, संघर्ष और उनकी कड़ी मेहनत का परिणाम है।