Farmer protest 2.0 : दातासिंहवाला बार्डर सील, जींद से पंजाब की तरफ जाने वाली रोडवेज बसें बंद

Clin Bold News
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Farmer protest 2.0: Datasinghwala border sealed, roadways buses going from Jind to Punjab stopped

चंडीगढ़ की तरफ जाने वाली बसें भी इस रूट से गुजर रही, जानिए पूरी डिटेल

Farmer protest 2.0 : पंजाब की तरफ से दिल्ली कूच के लिए आने वाले किसानों को हरियाणा की सीमा में प्रवेश करने से रोकने के लिए दातासिंहवाला बार्डर को सील किया गया है। इस कारण जींद से लुधियाना, संगरुर, अमृतसर जाने वाली रोडवेज सेवा अस्थायी रूप से बंद हो गई है। वहीं जींद से चंडीगढ़ जाने वाली बसों को भी कैथल से चीका, पटियाला के रास्ते भेजा जा रहा है।

अंबाला और चंडीगढ़ के बीच भी बार्डर को सील किया गया है, इसलिए यह रूट भी बुरी तरह से प्रभावित हो गया है। वहीं जिले में इंटरनेट सेवा भी 13 फरवरी की रात 12 बजे तक रोक दी गई हैं, जिसे आगे भी बढ़ाया जा सकता है। इस कारण लोगों को ट्रैफिक के बारे में अपडेट नहीं मिल पा रही है।

जींद से लुधियाना, अमृतसर, संगरुर, खनौरी, पातड़ां की तरफ पांच से छह बसें जाती हैं तो वहीं पंजाब से भी पीआरटीसी की 15 से ज्यादा बसें जींद होते हुए दिल्ली जाती हैं। किसानों को पंजाब-हरियाणा के बार्डर पर रोकने की खातिर रास्ते को सील किया गया है। रोडवेज ने सुरक्षा के लिहाज से इस रूट पर अस्थायी रूप से बसों को बंद कर दिया गया है। सामान्य स्थिति (Farmer protest) होने के बाद ही इस रूट पर बसें दोबारा से शुरू की जाएगी।

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वहीं दूसरी तरफ किसान आंदोलन के चलते पुलिस फोर्स को इधर-उधर ले जाने के लिए रोडवेज की 25 बसों को पुलिस लाइन में खड़ा करवाया गया है। जींद डिपो में 170 के करीब बसें हैं, जिनमें हर रोज 20 हजार से ज्यादा यात्री सफर करते हैं। 25 बसों के बंद होने से ग्रामीण रूटों पर बसें नहीं जा पा रही हैं और यात्रियों को परेशानी का (Farmer protest) सामना करना पड़ रहा है। लिंक रास्तों पर एक रोडवेज बस 10 से 12 गांवों को कवर करती हैं और इन रूटों पर सुबह तथा शाम को बस नहीं चल पाने से सभी गांवों के यात्री बसों का इंतजार करते रह गए।

 

जींद डिपो महाप्रबंधक कमलजीत ने कहा कि सुरक्षा के लिहाज से पंजाब की तरफ जाने वाली बसों को अस्थायी रूप से रोका गया है। जो भी रूट सही है, उस पर बसें नियमित रूप से समयानुसार चल रही हैं। प्रशासन ने जितनी बसें मांगी थी, वह उपलब्ध करवा दी। जितनी बसें उपलब्ध हैं, उतनी बसों से बेहतर यातायात व्यवस्था का प्रयास किया जा रहा है।

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