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Haryana Farmer: खीरे की खेती के सामने फीकी पड़ी 45 हजार की सरकारी नौकरी, हरियाणा का ये युवक अब कमा रहा लाखों में

Haryana Farmer: कहते है अगर सरकारी नौकरी मिल जाए तो फिर कौन खेती-किसानी करने के बारे में सोचता है।

लेकिन बदलाव के इस दौर में किसी ने इंजीनियर की नौकरी तो किसी ने गूगल की नौकरी छोड़ कर किसानी शुरू कर दी है।

आइये हम आपको मिलवाते हैं ऐसे एक किसान से जिन्होंने सरकारी नौकरी छोड़ अपनी पुश्तैनी जमीन पर चार नेट हाउस लगाकर खीरे की खेती कर आज लाखों में कमा रहे हैं।

इस प्रक्रिया से प्लास्टिक की रस्सियों को एक सिरे की पौधों के आधार से और दूसरे सिरे को ग्रीनहॉउस में क्यारियों के ऊपर 9-10 फीट ऊंचाई पर बंधे लोहे के तारों पर बांध देते हैं।

अन्त में जब पौधा उस तार के बराबर जिस तार पर रस्सी का दूसरा सिरा बंधा होता है, तो पौधो को नीचे की ओर चलने दिया जाता हैं।

साथ-साथ विभिन्न दिशाओं से निकली शाखाओं की निरन्तर काट-छांट करें। कटाई-छंटाई करते समय इस बात का अवश्य ध्यान रखें कि हमने किस किस्म को उगाया है।

पौधों की उर्वरक व जल की मात्रा मौसम एवं जलवायु पर निर्भर करती है। आमतौर पर गर्मी में प्रतिदिन तथा सर्दी में 2-3 दिन के अंतराल पर दिया जाता है।

उर्वरक पानी के साथ मिलाकर ड्रिप सिंचाई प्रणाली द्वारा दिये जाते है । बुआई के 40 दिन बाद फसल तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है।

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खीरे विभिन्न मौसम के लिए उपलब्ध किस्मों के अनुसार पूरे वर्ष उगाया जा सकता है।

दो उठी हुई बेड्स के बीच से दूरी 4 फीट हो तथा इसको एक ही कतार पर 30 से 40 सेमी की दूरी पर बीज बोते है।

खीरे के पौधों को एक प्लास्टिक की रस्सी के सहारे लपेटकर ऊपर की ओर चढ़ाया जाता है।

किसान मुकेश ने बताया कि अगर इसमें सरकार की बात की जाए तो सरकार द्वारा हमें सबसे पहले इसमें 65 % की सब्सिडी मिली थी।

हालांकि अब उस सब्सिडी को 50 % कर दिया गया है, मगर उसके बाद भी काफी अच्छा काम चल रहा है।

अगर और युवाओं की बात करें तो उनको सबसे पहले नेट हाउस के बारे में जानना पड़ेगा।

ड्रिप सिंचाई क्या होती है, खाद पानी हमें किस प्रकार देना है इसकी जानकारी होना अति आवश्यक है।

अगर किसान भाई इस तरफ आना चाहते हैं तो वह इसके बारे में ट्रेनिंग भी ले सकते जहां से उनको अच्छी तरह की जानकारी मिल सकेगी।

किसान इस खीरे को दिल्ली चंडीगढ़ जैसे बड़े-बड़े शहरों में भेजते हैं जहां पर इसकी डिमांड भी काफी जायद रहती है।

अगर इस समय की रेट की बात करें तो 15 रुपये प्रति किलो रेट चल रहा है।

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अगर इसमें खर्च की बात की जाए तो एक नेट हाउस पर ढाई से तीन लाख रुपये का खर्च कर 2 लाख रुपये हर नेट हाउस में किसान को बचत हो रही है।

यानी 4 नेट हाउस से 8 लाख रुपये की बचत हुई है।

करनाल जिले के गांव छपरियो में एक युवा किसान मुकेश कुमार ने अपनी 45000 रुपये की सरकारी नौकरी छोड़ नेट हाउस में संरक्षित खेती कर रहा है।

जिससे उसको काफी फायदा हो रहा है। किसान ने 2 वर्ष पहले एक नेट हाउस से अपना यह काम शुरू किया और आज उनके पास तकरीबन 4 के करीब नेट हाउस है।

इस काम से उसको अधिक मुनाफा तो हुआ ही है उसी के साथ संरक्षित खेती कर और लोगों को भी रोजगार मिला है।

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