Kisan Andolan: नोएडा एक्सप्रेसवे पर किसानों की भारी संख्या में एकत्रित होने से एक बार फिर किसानों का आंदोलन पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया है। हजारों किसान नोएडा महामाया फ्लाईओवर पर पहुंचकर दिल्ली कूच करने के लिए तैयार हैं, जहां वे अपनी समस्याओं और मांगों को केंद्र सरकार के सामने रखेंगे। हालांकि, दिल्ली पुलिस द्वारा उन्हें चिल्ला बॉर्डर पर रोकने की कोशिश की जा रही है, लेकिन किसान इस समय किसी भी रोक को गंभीरता से नहीं ले रहे और दिल्ली जाने का फैसला कर चुके हैं।
किसानों के आंदोलन के कारण
किसानों का आंदोलन विभिन्न समस्याओं और मांगों को लेकर है, जिनमें सबसे प्रमुख है उच्च मुआवजा और भूमि अधिग्रहण कानून से संबंधित मामले। किसानों का आरोप है कि गौतमबुद्ध नगर जिले में मुआवजे की राशि बहुत कम दी जा रही है, जबकि गोरखपुर जिले में इसके 4 गुना मुआवजा दिया गया है। इसके अलावा, किसानों का कहना है कि सर्किल रेट 10 साल से बढ़ा नहीं है, जिससे उनकी भूमि का मूल्य नहीं बढ़ पाया है।
किसानों की प्रमुख मांगें
4 गुना मुआवजा
किसानों का कहना है कि गौतमबुद्ध नगर जिले में भूमि अधिग्रहण के लिए जो मुआवजा दिया जा रहा है, वह अन्य जिलों की तुलना में बहुत कम है। गोरखपुर में किसानों को 4 गुना मुआवजा मिला है, जबकि यहां ऐसा नहीं किया गया।
सर्किल रेट में वृद्धि
किसानों की यह भी मांग है कि उन्हें भूमि अधिग्रहण के बदले 10 फीसदी विकसित भूखंड दिया जाए। किसानों का कहना है कि गौतमबुद्ध नगर में 10 साल से सर्किल रेट में कोई वृद्धि नहीं की गई है, जिससे उनकी भूमि की कीमतें स्थिर हो गई हैं। किसानों ने मांग की है कि नए भूमि अधिग्रहण कानून की सिफारिशों का पालन किया जाए ताकि उन्हें उचित मुआवजा मिल सके।
अधिकारियों से हुई बैठक का नतीजा
रविवार को तीनों प्राधिकरण के अधिकारियों, जिलाधिकारी और पुलिस कमिश्नर के साथ किसानों की करीब 3 घंटे तक हाईलेवल बैठक हुई। इस बैठक में किसानों ने अपनी समस्याओं को गंभीरता से उठाया, लेकिन अधिकारियों का कहना था कि जल्द ही उनकी समस्याओं का समाधान किया जाएगा। हालांकि, किसान इस समाधान को तत्काल लागू करने की मांग कर रहे थे, जिससे बैठक विफल रही और किसान नाराज होकर बैठक छोड़कर चले गए। इसके बाद, किसानों ने घोषणा की कि वे अब दिल्ली कूच करेंगे और अपनी बात सरकार तक पहुंचाएंगे।
यह आंदोलन केवल नोएडा क्षेत्र ही नहीं, बल्कि दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में भी बड़ा असर डाल सकता है। किसान अपने आंदोलन के माध्यम से सरकार से अपनी मांगों को लागू करवाने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। किसान नेताओं का कहना है कि अगर उनकी समस्याओं का समाधान नहीं होता है, तो वे आगे भी अपनी आवाज उठाते रहेंगे।