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Indian New Parliament: यूपी के मिर्जापुर की कालीन, राजस्थान का सफेद संगमरमर पत्थर… जानें नई संसद के लिए कहां-कहां से लाई गई खास चीजें

Indian New Parliament: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल यानी 28 मई को देश के नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे।

इससे दो दिन पहले यानी 26 मई को पीएम ने अपने ट्विटर हैंडल से संसद की नई बिल्डिंग का वीडियो शेयर कर दिया।

1.48 सेकंड के इस वीडियो में संसद की खूबसूरती और भव्यता को देखा जा सकता है।

नए संसद भवन के निर्माण में देशभर से जैसे यूपी के मिर्जापुर की कालीन, राजस्थान का सफेद संगमरमर का पत्थर आदि कई प्रकार की अलग अलग जगहों से नायाब चीजें मंगवाई हैं।

इस इमारत में देश के अलग-अलग हिस्सों की मूर्तियां और आर्ट वर्क बनाए गए हैं।

इसके अलावा इसमें देश में पूजे जाने वाले जानवरों की झलकियां भी दिखाई जाएंगी, इनमें गरुड़, गज, अश्व और मगर शामिल हैं।

इसके अलावा भवन में तीन द्वार बनाए गए हैं, जिन्हें ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार नाम दिया गया है।

इस इमारत में भारत के आधुनिक बनने तक के सफर की छलक भी देखने को मिलेगी।

इस इमारत में एक भव्य संविधान हॉल, एक लाउंज, एक लाइब्रेरी, डाइनिंग हॉल और पार्किंग की जगह भी होगी।

लोकतंत्र के मंदिर के निर्माण के लिए देशभर से अनोखी सामग्रियों को जुटाया गया है, जो एक भारत श्रेष्ठ भारत की सच्ची भावना को दर्शाता है।

कहां से क्या मंगवाई गई चीजें

नई संसद में लगी सागौन की लकड़ी नागपुर मंगाई गई थी.

– राजस्थान के सरमथुरा का सैंडस्टोन (लाल और सफेद) का इस्तेमला किया गया है.

– यूपी के मिर्जापुर की कालीन इसके फ्लोर पर लगाई गई है.

– अगरतला से मंगवाई गई बांस की लकड़ी इसके फर्श पर लगाई गई है.

– राजस्थान के राजनगर और नोएडा से स्टोन जाली वर्क्स लगाए गए.

– अशोक प्रतीक को महाराष्ट्र के औरंगाबाद और जयपुर से मंगवाए गए.

– संसद में लगा अशोक चक्र इंदौर से लाया गया है.

– इसके अलावा कुछ फर्नीचर मुंबई से मंगाए गए थे.

– जैसलमेर से लाख लाल मंगवाया गया.

– राजस्थान के अंबाजी से अंबाजी सफेद संगमरमर खरीदा गया था.

– केशरिया ग्रीन स्टोन उदयपुर से मंगवाया गया था.

– पत्थर की नक्काशी का काम आबू रोड और उदयपुर से लिया गया.

– कुछ पत्थर राजस्थान के कोटपूतली से भी मंगवाए गए थे.

– एम-सैंड को हरियाणा के चकरी दादरी, फ्लाई ऐश ब्रिक्स को NCR, हरियाणा और यूपी से खरीदा गया था.

– ब्रास वर्क और प्री-कास्ट ट्रेंच अहमदाबाद से लाया गया था जबकि एलएस/आरएस फाल्स सीलिंग स्टील संरचना दमन व दीव से ली गई थी.

नया संसद भवन​

25 दल उद्घाटन में शामिल, 21 विरोध में

नई संसद के उद्घाटन में बीजेपी समेत 25 राजनीति दल कार्यक्रम में शामिल होंगे।

इनमें 7 गैर एनडीए दल- बहुजन समाज पार्टी, शिरोमणि अकाली दल, जनता दल (सेक्यूलर), लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास), वाईएसआर कांग्रेस, बीजू जनता दल और तेलुगू देशम पार्टी भी शामिल हैं।

वहीं कांग्रेस समेत 21 दलों ने इसका बहिष्कार कर दिया है।

इन दलों ने किया न्योता स्वीकार

बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट), नेशनल पीपल्स पार्टी, नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी, सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा, राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी, अपना दल

– सोनीलाल, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया, तमिल मनीला कांग्रेस, अन्नाद्रमुक, आजसू (झारखंड), मिजो नेशनल फ्रंट, वाईएसआरसीपी, टीडीपी, बीजद, बीएसपी, जेडीएस, शिरोमणि अकाली दल शामिल हैं।

इन दलों ने किया कार्यक्रम का बायकॉट

21 विपक्षी दलों ने संसद के उद्घाटन का बायकॉट का ऐलान किया है। इन दलों में कांग्रेस, डीएमके (द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम), AAP, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट), समाजवादी पार्टी, भाकपा, झामुमो, केरल कांग्रेस (मणि), विदुथलाई चिरुथिगल कच्ची, रालोद, टीएमसी, जदयू, एनसीपी, सीपीआई (एम), आरजेडी, AIMIM, AIUDF (ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट), इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, नेशनल कॉन्फ्रेंस, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और मरुमलार्ची द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (एमडीएमके) शामिल हैं।

विपक्षी का बहिष्कार करने का कारण

विपक्षी दलों ने अपने संयुक्त बयान में कहा है- ‘राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए नए संसद भवन का उद्घाटन करने का प्रधानमंत्री मोदी का निर्णय न केवल एक गंभीर अपमान है बल्कि हमारे लोकतंत्र पर सीधा हमला है, जो इसके अनुरूप प्रतिक्रिया की मांग करता है. राष्ट्रपति के बिना संसद कार्य नहीं कर सकती है।

फिर भी प्रधानमंत्री ने उनके बिना नए संसद भवन का उद्घाटन करने का निर्णय लिया है।

यह अशोभनीय कृत्य राष्ट्रपति के उच्च पद का अपमान करता है और संविधान के पाठ और भावना का उल्लंघन करता है।

यह सम्मान के साथ सबको साथ लेकर चलने की उस भावना को कमजोर करता है, जिसके तहत देश ने अपनी पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति का स्वागत किया था।

बहिष्कार संवैधानिक मूल्यों का अपमान: NDA

वहीं एनडीए ने बहिष्कार को लेकर बयान जारी किया, ‘बहिष्कार का फैसला केवल अपमानजनक नहीं है, यह हमारे महान राष्ट्र के लोकतांत्रिक लोकाचार और संवैधानिक मूल्यों का भी घोर अपमान है।

संसद के प्रति इस तरह का खुला अनादर न केवल बौद्धिक दिवालिएपन को दर्शाता है बल्कि लोकतंत्र के सार के लिए परेशान करने वाली अवमानना है।

अफसोस की बात है कि इस तरह के तिरस्कार का यह पहला उदाहरण नहीं है।

पिछले 9 वर्षों में, इन विपक्षी दलों ने बार-बार संसदीय प्रक्रियाओं के लिए बहुत कम सम्मान दिखाया है।

सत्रों को बाधित किया है, महत्वपूर्ण विधानों के दौरान बहिर्गमन किया है और अपने संसदीय कर्तव्यों के प्रति खतरनाक अभावग्रस्त रवैया प्रदर्शित किया है।

यह हालिया बहिष्कार लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की अवहेलना की उनकी टोपी में सिर्फ एक और पंख है।

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Nitesh Kumar

मेरा नाम नितेश कुमार है। मैं पिछले 3 साल से पत्रकारिता में हूं। मेरी सेवाएं इंडिया न्यूज डिजीटल, चौपाल टीवी डिजीटल और राजस्थान खबर पर दी हैं। मेरा पत्रकारिता में बॉलिवुड, स्पोर्ट्स में अनुभव है।
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