New Expressway: फरीदाबाद-नोएडा-गाजियाबाद एक्सप्रेसवे (एफएनजी एक्सप्रेसवे) की निर्माण परियोजना में अब एक नई उम्मीद जगी है, क्योंकि हरियाणा सरकार ने इसे फिर से भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को सौंपने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। इससे पहले, यूपी सरकार ने भी इस एक्सप्रेसवे को एनएचएआई को सौंपने की कोशिश की थी, लेकिन कुछ कारणों से यह प्रयास सफल नहीं हो सके थे। अब, हरियाणा सरकार अपने स्तर पर इस परियोजना को आगे बढ़ाने की तैयारी कर रही है, और इसकी सफलता की संभावना बढ़ गई है।
हाल ही में नोएडा और हरियाणा सरकार के पीडब्ल्यूडी अधिकारियों के बीच बैठक हुई थी, जिसमें इस परियोजना को एनएचएआई के हवाले करने के संकेत दिए गए हैं। नोएडा प्राधिकरण की टीम ने फरीदाबाद का दौरा भी किया, जहां यमुना पर बनने वाले पुल और उसके जुड़ाव से संबंधित सड़क की योजना पर चर्चा की गई। इस पुल को जमीन से करीब 14 मीटर की ऊंचाई पर बनाया जाएगा, और इस पर करीब 200-250 करोड़ रुपये खर्च आने का अनुमान है। इस खर्च को नोएडा और हरियाणा सरकार आधा-आधा वहन करेंगे।
यमुना पर बनने वाला यह पुल, फरीदाबाद के लालपुर गांव के पास जुड़ेगा और इसे 200-250 करोड़ रुपये की लागत से बनाने का प्रस्ताव है। इसके अलावा, इस पुल को जोड़ने वाली सड़क की ऊंचाई भी बहुत ज्यादा होगी, जिसे बनाने के लिए अतिरिक्त खर्च किया जाएगा। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि यह क्षेत्र में आवागमन को सुगम बनाएगा और कनेक्टिविटी को बेहतर करेगा।
एफएनजी एक्सप्रेसवे के निर्माण में सबसे बड़ी चुनौती भूमि अधिग्रहण है। खासतौर पर फरीदाबाद क्षेत्र में, जहां किसानों से जमीन ली जानी है। नए भूमि अधिग्रहण कानून के तहत सरकार पर अधिक आर्थिक बोझ पड़ सकता है, और किसानों के साथ विवाद भी हो सकते हैं। इसके बावजूद, सरकार इस समस्या का समाधान निकालने के लिए प्रयासरत है। अनुमान है कि इस परियोजना में 1000 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च आ सकता है, खासकर भूमि अधिग्रहण और संबंधित खर्चों को देखते हुए।
वर्षों से इस एक्सप्रेसवे के निर्माण में कई रुकावटें आई हैं। उत्तर प्रदेश सरकार और नोएडा प्राधिकरण ने पहले इस परियोजना को एनएचएआई को सौंपने की कोशिश की थी, लेकिन ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे के पूरा हो जाने के बाद इसका महत्व कम हो गया था। अब, हरियाणा सरकार ने इसे पुनः एनएचएआई के पास भेजने के प्रयास शुरू किए हैं।
नोएडा में एफएनजी एक्सप्रेसवे के लिए कई काम किए जा चुके हैं, लेकिन कुछ हिस्सों में अभी भी सड़क निर्माण बाकी है। इन हिस्सों में कुछ किसानों से जमीन का विवाद है, जिसकी वजह से परियोजना में देरी हो रही है। इसके अलावा, नोएडा में एलिवेटेड रोड, फ्लाईओवर और अंडरपास की भी योजना है, जिसमें 1500 से 2000 करोड़ रुपये का खर्च अनुमानित है।