Bhiwani News : इस गांव की पंचायत ने सुनाया अजीब फरमान, गांव में कच्छा पहनकर घूमने पर लगाई रोक

Parvesh Mailk
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इस गांव की पंचायत ने सुनाया अजीब फरमान गांव में कच्छा पहनकर घूमने पर लगाई रोक

Bhiwani News : आपने देखा ही होगा गर्मियों में हरियाणा के अधिकांस गांवों में युवा कच्छा या कैफ्री पहनकर घुमते हैं। मगर कुछ गांवों में इस पहनावा पर भी संस्कारिक रुप से आपत्ति जताई जाती हैं। जैसे कि, हरियाणा के भिवानी जिले के गांव गुजरानी में महिला सरपंच के प्रतिनिधि ससुर ने युवाओं के केवल कच्छा पहनकर गांव में घूमने पर पाबंदी लगाए जाने का अजीब फरमान सुनाया है।

 

चौकीदार से मुनादी करवाई गई

पाठकों को बता दें कि, गांव के युवाओं को सार्वजनिक जगहों पर कच्छा पहनकर घूमने पर पाबंदी लगा दी है वहीं महिला सरपंच के घर भी किसी कागजात पर मुहर लगवाने कच्छा पहनकर जाना सख्त मना है। सरपंच प्रतिनिधि ने गांव के चौकीदार से बाकायदा इसकी पूरे गांव में मुनादी भी करा दी है। जिसका सोशल मीडिया पर वीडियो भी खूब वायरल हो रहा है।

गांव में कच्छा पहनने पर क्यों रोक लगाई गई
महिला सरपंच प्रतिनिधि के मुताबिक, घुटनों से ऊपर तक का पहनावा यानी कच्छा पहनकर सार्वजनिक जगहों पर घूमना अश्लीलता के दायरे में आता है। ये हमारी भारतीय संस्कृति के भी खिलाफ है, हम इसे सामाजिकता के भी खिलाफ मानते हैं। इसीलिए पूरी पंचायत ने बैठक कर यह निर्णय सर्व सहमति से लेने के बाद गांव में ये मुनादी कराई है। इसका पालन नहीं करने वाले युवा के परिजनों को पहले समझाया जाएगा और नहीं मानने पर उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई कराई जाएगी।
गुजरानी गांव की कौन है महिला सरपंच ?

भिवानी शहर से महज 10 किलोमीटर दूर गांव गुजरानी करीब सात हजार आबादी का गांव है। इस गांव में करीब 1300 मकान बने हुए हैं। गांव गुजरानी में 35 वर्षीय रेनु शर्मा गांव की युवा महिला सरपंच है। उसके पति की कुछ अर्से पहले ही हृदय गति रुकने से मौत हो गई थी। महिला सरपंच के परिवार में उनका ससुर सुरेश शर्मा व सास पतासो देवी, लड़का विजय कुमार, उसकी पत्नी सरिता और तीन पौते और दो पौतियां हैं। सुरेश शर्मा सरपंच प्रतिनिधि होने के साथ-साथ गांव में सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं।

सार्वजनिक जगहों पर जानें से महिलाओं को आती हैं शर्म
गांव गुजरानी निवासी सुरेश शर्मा ने के मुताबिक, गांव के युवा अक्सर गांव के सरकारी स्कूल, बैंक और महिलाओं के पानी भरने के स्थान पर कच्छा पहनकर ही चले जाते हैं, जिससे गांव की बहन बेटियों को शर्मिंदगी महसूस करनी पड़ती है।  उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर कोई युवा गांव के फैसले की अवहेलना करता है तो प्रथम बार तो उसके परिजनों से बात की जाएगी फिर भी नहीं माना तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई कराएंगे।
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मेरा नाम प्रवेश है, मैने पिछले साल जनवरी 2023 में मास्टर ऑफ आर्ट जर्नलिजम मासकॉम किया है, तभी से क्लिनबोल्ड से कंटेंट राइटर के तौर से जुड़ा हुआ हूं। इससे पहले पंजाब केसरी में दो महिने कंटेट राइटर का कार्य किया हैं। इसके अतिरिक्त लेखक के तौर पर सामाजिक आर्टिकल और काव्य- संग्रह में भी सक्रिय रहता हूँ।
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