पढ़ें राजेश के संघर्ष की कहानी
Sucess Story : सरकारी नौकरी के प्रति जुनून हर किसी में देखने को नहीं मिलता। ज्यादातर लोग अपने एक, दो, तीन या फिर ज्यादा से ज्यादा आठ-10 प्रयास के बाद हिम्मत हार जाते हैं लेकिन इन सबका अपवाद है राजेश गुर्जर (Rajesh Gurjar)।
राजस्थान के झुंझूनूं जिले के खेतड़ी उपखंड का गांव रामनगर निवासी राजेश ने कड़ा संघर्ष, मेहनत के बूते कामयाबी की मिसाल पेश की है और दूसरों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बने हैं। 50 से ज्यादा बार असफल रहने के बाद भी राजेश ने हिम्मत नहीं हारी और आखिरकार चार-चार सरकारी नौकरियां अब राजेश के सामने हैं।
राजेश (Rajesh Kumar) की सफलता का अंदाजा इस बात से लगा लीजिए कि आठ साल की कड़ी मेहनत के बाद एक ही साथ चार सरकारी नौकरी हासिल कर ली। ये उन लोगों के लिए प्रेरणादायी है, जो थोड़ी सी अफसलताओं के बाद हार मान जाते हैं।
फिलहाल राजेश गुर्जर राजस्थान ( Sucess Story ) के नागौर जिले के गोटन रेलवे स्टेशन पर वरिष्ठ वाणिज्यिक क्लर्क और टिकट क्लर्क की पोस्ट पर तैनात हैं। उन्होंने इससे पहले जोधपुर, फिर नागौर के ही मेड़तासिटी में भी सेवाएं दीं।
राजेश कुमार ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में बताया कि वर्ष 2015 में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी शुरू कर दी थी, जो वर्ष 2023 के जनवरी में एक के बाद एक करके चार प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता मिलने तक जारी रही।
22 मई 2023 को अपनी पहली नौकरी के रूप में राजेश कुमार ने भारतीय रेलवे में ज्वाइन किया। बाकी तीन नौकरी ज्वाइन नहीं की। इन नौकरियों ( Sucess Story ) में ज्वाइनिंग की खातिर बार-बार उनके पास नोटिस आ रहे हैं। राजेश कुमार का कहना है कि अब वह ताउम्र भारतीय रेलवे में ही सेवाएं देना चाहेंगे।
राजेश गुर्जर की सक्सेस स्टोरी (Rajesh sucess story)
राजेश का जन्म 6 अप्रैल 1993 को रामनगर के किसान झंडूराम गुर्जर व हाउसवाइफ पन्नी देवी के घर हुआ। 14 दिसंबर 2022 को राजेश की शादी ममता के साथ हुई। राजेश का छोटा भाई संदीप कुमार जयपुर में दवाइयों की मार्केटिंग का काम करता है। राजेश का कहन है कि मेरी सफलता में माता-पिता के आशीर्वाद, खुद की कड़ी मेहनत के साथ-साथ छोटे भाई संदीप के सपोर्ट की सबसे बड़ी भूमिका रही।
ये नौकरिंया मिली राजेश को
1. रेलवे में एससीसीटीसी
2. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो में जूनियर असिस्टेंट
3. पोस्टल असिस्टेंट तिरुचिरापल्ली तमिलनाडू
4. रेलवे में तकनीकी पद
हर सप्ताह देता था प्रतियोगी परीक्षा
राजेश ने बताया कि हर सप्ताह वह कोई न कोई प्रतियोगिता परीक्षा देता रहता था। दरअसल स्कूल की पढ़ाई और जयपुर से बीटैक करने के बाद उसने सरकारी नौकरी के लिए (Sucess story) खूब सारे ओवदन किए। दो तीन साल तक लगतार आवेदन पर आवेदन करने के बाद उनके एडमिट कार्ड और परीक्षाएं आनी शुरू हुई तो परीक्षाओं का सिलसिला चला।
राजेश कुमार ने अपने सक्सेस मंत्र के बारे में कहा कि मैं 50 से ज्यादा प्रतियोगी परीक्षाओं (Govt job exam) में असफल हुआ तो खूब टूटा लेकिन कभी बिखरा नहीं। जितनी बार भी असफल होता, तो हर बार खुद को समेटा। गलतियों से सीखा और आगे बढ़ा। उन दिनों तो हर दूसरा आदमी यही कहता मिलता था कि अब सिलेक्शन होना असंभव है।
प्राइवेट नौकरी करने लगो, मगर मुझे यह मंजूर नहीं था। मैंने ना इरादा बदला और ही मंजिल। नतीजा सबके सामने है। आज चार-चार सरकारी नौकरियां मेरा इंतजार कर रही हैं।