परमिट और फास्टैग की कागजी कार्रवाई के बाद उतरेंगी इन रूटों पर
Roadways new buses jind : रोडवेज के जींद डिपो में करीब 22 साल बाद बसों की संख्या 200 के पार पहुंच गई है। डिपो में 11 नई रोडवेज बसें आने के बाद अब कुल 203 बसें हो गई हैं। इससे यात्रियों को बेहतर परिवहन सुविधा मिलेगी। इससे पहले वर्ष 2001-02 में बसों की संख्या 200 थी। इसके बाद बसें कंडम होकर रूटों से उतरती रही लेकिन इसकी तुलना में नई बसें कम शामिल हुई।
वीरवार और शुक्रवार को जींद डिपो में 11 नई (Roadways) बसें आ गई। 192 बसें विभिन्न रूटों पर दौड़ृ रही हैं। किलोमीटर स्कीम की भी 37 बसें इनमें शामिल हैं, जिन पर चालक परिवहन समिति का होता है और परिचालक रोडवेज का होता है। ये बसें प्रति किलोमीटर के हिसाब से रोडवेज द्वारा हायर की गई हैं। बसों की संख्या पर्याप्त होने के बाद अब डिपो में चालक-परिचालकों की कमी रह सकती है, इसलिए कर्मचारियों की मांग उठ रही है कि ओवरटाइम शुरू किया जाए।
डिपो की 192 बसें स्थानीय रूटों के अलावा अंतरजिला और देहरादून, हरिद्वार, सालासर, जयपुर, पटियाला समेत दूसरे अंतरराज्यीय रूटों पर जाती हैं। इन बसों में हर रोज 17 हजार से ज्यादा यात्री रोजाना सफर करते हैं, जिनसे डिपो को 12 से 14 लाख रुपये की आमदनी होती है। डिपो में नई बसें आने के बाद यात्रियों को काफी बेहतर परिवहन सुविधा मिलेगी।
लड़कियों के लिए स्पेशल बसें चलाने की मांग
डिपो में पर्याप्त बसें आने के बाद अब लोगों की मांग है कि लड़कियों के लिए स्पेशल बसें चलाई जाएं। दरअसल जींद के राजकीय कालेज, महिला कालेज, सीआरएस विश्वविद्यालय समेत निजी कालेजों में काफी संख्या में छात्राएं पढ़ने के लिए गांवों से आती हैं। ग्रामीण रूटों पर बसों की संख्या कम है, इसलिए छात्राओं को कालेज आने और जाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
जींद (jind) से खरैंटी होते हुए जुलाना, छापड़ा, भौंसला, कसूहन, घोघड़ियां होते हुए छात्तर और जींद से कौथ कलां, जींद से डाहौला रूटों पर छात्राओं के लिए स्पेशल बसें चलाने की मांग की जा रही है। गांव घोघड़ियां के सरपंच प्रतिनिधि मनदीप बूरा, कसूहन के सरपंच श्रीकांत ने कहा कि इस मामले में रोडवेज महाप्रबंधक को पत्र लिखकर स्पेशल बस चलाने की मांग की जाएगी।
स्थाई रोजगार देने की जरूरत
परिवहन विभाग द्वारा डिपो में नई बसें जरूर भेजी जा रही हैं, लेकिन बसों की संख्या के हिसाब से कर्मचारियों की कमी है। सरकार द्वारा हरियाणा कौशल निगम के तहत चालक व परिचालक की भर्ती की जा रही है। जबकि सरकार को चाहिए कि बेडे में स्थाई भर्ती करें, जिससे युवाओं को रोजगार भी मिले। यूनियन सरकार की निजीकरण की नीति का विरोध करती है।
–संदीप रंगा, राज्य उपप्रधान, हरियाणा रोडवेज संयुक्त कर्मचारी संघ
डिपो में आई 11 और नई बसें
डिपो में 11 नई बस आ चुकी हैं, जिसे कागजी कार्रवाई के बाद रूट पर भेजा जाएगा। जल्द ही नई बसों की कागजी कार्रवाई भी पूरी कर ली जाएगी। फास्टैग लगने तक बसों को हांसी, रोहतक व असंध जैसे लोकल रूटों पर चलाया जाएगा। वहीं फास्टैग लगने के बाद बसों को यात्रियों की सुविधा अनुसार लंबे रूट पर भेजा जा सकता है।
–जसमेर खटकड़, डीआई जींद।