Amazing facts : रागों के आइने में झाकते जींद रियासत के गांव
Amazing facts : हम इतिहास के पायदान पर भारतीय शास्त्रीय संगीत के रागों के आइने में झांके तो न केवल एक सुखद अनुभूति होती है बल्कि ताज्जुब भी होता है कि पुरानी जींद रियासत में अनेक गांव ऐसे हैं जिनके नाम रागों, लय ताल तथा वाद्य यंत्रों पर आधारित हैं। जिन गांवों के नाम रागों, लय ताल, वाद्य यंत्रों पर आधारित हैं वहां का पानी मीठा है और चावल की उपज होती है। जिनका प्रयोग पूजा अर्चना के समय किया जाता है। कृषि प्रधान प्रदेश में गांव का नाम सांस्कृतिक धरोहर पर आधारित होना निसंदेह एक शोध का विषय है। अगर सांस्कृतिक झरोखे से देखा जाए तो जींद में अनेक रागों पर आधारित गांव सांस्कृतिक छठा को दर्शाते हैं। गांव के नाम रागों पर आधारित होना सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है। जिससे साफ जाहिर होता है कि जींद रियासत के लोगों का संगीत की तरफ विशेष रूझान रहा है। जिसके कारण गांवों के नाम रागों पर आधारित हैं। इतिहासकारों के मुताबिक गांव रजाना कलां का नाम रज संस्कृति का धातु अर्थ राग पर आधारित है। गांव मलार बिलावल थाट से उत्तपन्न है। यह राग ओडव जाति तथा वर्षाकाल का प्रिय राग है। गांव पिल्लूखेड़ा राग पिल्लू काफी थाट से उत्पन्न है। गांव कलावती कलावती राग कर्नाटक पद्धति से आया है। इसकी जाति शाढव है। गांव नंदगढ़ कल्याण थाट से उत्तपन्न नंद राग है। यह शाढव संपूर्ण जाति का राग है। गांव मालश्री खेड़ा मालश्री
राग कल्याण थाट के तहत आता है। गांव देशखेड़ा खमाज थाट का देश राग है। गांव खेड़ी खेमावती खंबावती राग खमाज थाट से उत्तपन्न है। गांव जैजैवंती खमाज थाट का राग है। गांव भैरवखेड़ा भैरव थाट का आश्रय राग है। गांव गुलकनी गुणकली राग का थाट बिलावल पर आधारित है। गांव खमाचखेड़ा खमाज राग खमाज थाट पर आधारित है। गांव खटकड़ असावरी थाट से उत्तपन्न खर राग पर आधारित है। जींद जयंत राग जैजैवंती और मिया मल्हार के मित्र रूप पर आधारित है। गांव जीतगढ़ मारवा थाट से उत्तपन्न जैन राग पर आधारित है। गांव आलन जोगीखेड़ा राग जोगिया भैरव थाट पर आधारित है। गांव ललितखेड़ा ललित राग मारवा थाट राग पर आधारित है। गांव मांडीखुर्द मांड राग बिलावल थाट के वक्र संपूर्ण राग पर आधारित है। गांव श्रीरागखेड़ा पूर्वी थाट राग पर आधारित है। गांव मालवी मालकौस थाट के राग पर आधारित है। गांव सिवाहा शिवमत भैरव, भैरव राग पर आधारित है। गांव सर्राफाबाद सरपरदा राग हजरत अमीर खुसरो के प्रसिद्ध राग पर आधारित है। गांव हमीरगढ़ हमीद राग कल्याण थाट राग पर आधारित है। गांव ढिगाणा लय ताल को दुगणी करने की ताल के क्रम पर आधारित है। गांव गतौली गति गत लय ताल पर आधारित है। गांव हंस डैहर राग हंसध्वनी कर्नाटका पद्धति पर आधारित है। गांव सिंध्वीखेड़ा राग सिंध्वी पर आधारित है। गांव भूरायण ताल के हिस्सों पर आधारित है।
इतिहासकारों की क्या है राय Amazing facts
इतिहासकार ने बताया कि जींद रियासत के चारों तरफ, पटियाला, दिल्ली, जयपुर रियासतों से घिरा हुआ था। संगीत के भी पटियाला, दिल्ली तथा जयपुर घराने हैं। जिनका प्रभाव जींद रियासत के गांव पर भी देखने को मिल रहा है। जिसके आधार पर जींद रियासत के अंतर्गत आने वाले गांवों के नाम रागों पर आधारित हैं। राग आधारित गांव में मीठा पानी तथा चावल उत्पन्न होता है। जो पूजा अर्चना के काम आता है। जींद रियासत के गांवों के नाम रागों पर आधारित होना न केवल ताज्जुब की बात है बल्कि शोध का विषय भी है। इसके चलते राग आधारित इन गांवों की लोकप्रियता बढ़ी हैं। इसको लेकर इतिहासकार समय-समय पर इस पर अपने मत रखते हैं। Amazing facts
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