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विवाह पंजीकरण में देरी की तो नगर पालिका को सेवा अधिकार एक्ट के तहत ठोका जुर्माना 

आयुक्त राइट टू सर्विस कमीशन ने अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए 13 जनवरी को डीसी को यह फाइल विस्तृत जांच के लिए वापस भेज दी। जिस पर उपायुक्त जींद ने विस्तृत जांच के उपरांत इस मामले में नगरपालिका सफीदों को दोषी पाया और उसे 500 रुपये का जुर्माना लगाया।
 
विवाह पंजीकरण में देरी की तो नगर पालिका को सेवा अधिकार एक्ट के तहत ठोका जुर्माना 
नगर पालिका सफीदों को 500 रुपये का जुर्माना किया गया हैं। 

जींद जिले की सफीदों नगरपालिका द्वारा विवाह के पंजीकरण करने में देरी करना महंगा पड़ गई। पंजीकरण में देरी करने पर सेवा के अधिकार अधिनियम के तहत सफीदों पालिकों को जुर्माना किया गया हैं। इसके अलावा चेताया गया कि भविष्य में ऐसा नहीं होनी चाहिए और लोगों को सेवा के अधिकार अधिनियम के तहत लाभ मिलना चाहिए। आपको बता दे कि नगर पालिका सफीदों को 500 रुपये का जुर्माना किया गया हैं। 

सफीदों के वार्ड नंबर 14 निवासी मयंक ने राज्य सेवा आयोग को शिकायत दी थी कि उसने 12 अक्टूबर 2023 को शादी प्रमाण पत्र बनवाने के लिए नगर पालिका सफीदों में आवेदन किया था। इसके बाद में वह 23 अक्टूबर 2023 को नगर पालिका सफीदों में गया और संबंधित अधिकारी को प्रमाण पत्र बनवाने के लिए अपनी फाइल सौंप दी।

उस समय अधिकारी ने पूरी फाइल होने की बात कहकर अपने पास रख ली। इसके बाद अधिकारी ने कहा कि यह फाइल अब एसडीएम व डीसी के पास मंजूरी के लिए जाएगी और उसके बाद ही विवाह का प्रमाण पत्र बन पाएगा। लंबे समय के बाद भी उसका विवाह पंजीकरण नहीं हुआ और वह नगर पालिका के चक्कर काटता रहा।

कई माह के बाद उस अधिकारी ने कहा कि उनकी फाइल सही नहीं हैं और उस पर ऐतराज हो गया हैं। उसकी फाइल में परिवार का फोटो नहीं लगाया हुआ हैं। शादी प्रमाण पत्र बनवाने के लिए अधिकारी के समक्ष  पति, पत्नी व माता-पिता के साथ गवाहों की फोटो होती हैं। इसके बाद उसने अपनी, माता-पिता और गवाहों को बुलाकर नगरपालिका सफीदों में पेश किया और उनके कागजात चेक करवाए, फोटो और हस्ताक्षर करवाए। उस दिन अधिकारी ने उसे फिर कहा कि उसकी फाइल ओके हो गई है।

उसके काफी समय बाद जब वह संबंधित अधिकारी से मिला तो उसने उससे कहा कि उसकी शादी की फाइल पर पते का ऐतराज आया हुआ है। जबकि मेरे सभी कागजातों में मेरा पता एक ही है। उसके बार-बार चक्कर लगाने के बाद अधिकारी ने उसे संबंधित विभाग की मेल आईडी पर शिकायत दर्ज करवाने के लिए कहा।

उसके बाद उसने विभाग की मेल आइडी पर अपनी शिकायत दर्ज करवाई। जहां से उसे 15 जुलाई 2024 को जवाब मिला कि उसकी फाइल संबंधित अधिकारी ने रोकी हुई है और फाइल में कोई कमी नहीं है। संबंधित अधिकारी व सीआरइडी में शिकायत करने बाद भी संतुष्ट जवाब नहीं मिलने के कारण उसने 30 जुलाई 2024 राइट टू सर्विस कमीशन में अपनी शिकायत दर्ज करवाई थी।

राइट टू सर्विस कमीशन ने उसकी शिकायत पर संज्ञान लेने पर उसे 27 अगस्त 2024 को डीसी कार्यालय से दूरभाष के माध्यम से संदेश प्राप्त हुआ। जिस पर उसने उन्हे अपनी पूरी स्थिति से अवगत करवाया और उसे करीब 10 माह के बाद शादी प्रमाण पत्र प्राप्त हुआ। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए आयुक्त राइट टू सर्विस कमीशन ने अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए 13 जनवरी को डीसी को यह फाइल विस्तृत जांच के लिए वापस भेज दी। जिस पर उपायुक्त जींद ने विस्तृत जांच के उपरांत इस मामले में नगरपालिका सफीदों को दोषी पाया और उसे 500 रुपये का जुर्माना लगाया।