heat wave : मौसम में लगातार उतार चढ़ाव जारी हैं। जहां पर फरवरी माह में ही दिन का मौसम गर्म होने लगा हैं और रात व सुबह व शाम को ठंड जारी हैं, लेकिन इस साल फरवरी माह पिछले वर्ष के मुकाबले ज्यादा गर्म रहा हैं। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार पिछले साल फरवरी की 16 तारीख दिल्ली में सबसे ज्यादा ठंडी रही थी, लेकिन इस बार तापमान ज्यादा रहा था।
अधिकांश दिनों में धूप निकलने के बावजूद, दिन का तापमान भी फरवरी में पांच वर्षों में सबसे कम था। इसके बावजूद गर्मी को लेकर मौसम विशेषज्ञों की भविष्यवाणी ने चिंताएं बढ़ा दी हैं। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार होली से ही हीटवेव यानी लू दस्तक दे देगा।
आईएमडी के पूर्व महानिदेशक केजे रमेश के हवाले बताया गया है कि प्री-मॉनसून सीजन (heat wave) में इस बार भी बीते दो साल की तर्ज पर ही जारी रहेगा। आईएमडी के अनुसार इस साल होली के आसपास देश के सभी राज्यों में लू चल सकती है। इसके पीछे पहली वजह है कि होली इस बार मार्च के अंतिम सप्ताह में है।
वहीं, दक्षिण भारत में फरवरी की शुरुआत में ही तापमान में बढ़ोतरी शुरू हो गई है। स्थिति यह है कि दक्षिण भारत में अभी दिन का तापमान 4 से 6 डिग्री सेल्सियस (heat wave) से अधिक रिकॉर्ड किया जा रहा है। महाराष्ट्र और ओडिशा समेत कुछ राज्यों में अभी तापमान 33 डिग्री सेल्सियस से अधिक बना हुआ है।
मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि हम मौसमी चक्र के ऐसे दौर से गुजर रहे हैं जब सर्दी खत्म होने के तुरंत बाद गर्मी दस्तक देने लगी है। ऐसे में वसंत का दौर काफी कम या नहीं के बराबर हो गया है। दुनिया भर के मौसम पर अलनीनो का असर साफ दिख रहा है।
अलनीनो के कारण प्रशांत महासागर ही नहीं बंगाल की खाड़ी के साथ ही अरब सागर की सतह के तापमान (heat wave) में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। यह बीते एक वर्ष में सामान्य से अधिक दर्ज हुआ है। पिछले साल देश में लू दक्षिण भारत में तीन मार्च से शुरू हुई थी। लू की यह स्थिति देशभर में मई के तीसरे सप्ताह तक रही थी। वहीं, 2022 में लू 11 मार्च से शुरू होकर देशभर में जून के पहले सप्ताह तक बरकरार थी।
सेंटर फॉर साइंस एंड इनवायरमेंट ने मौसम को लेकर एक स्टडी की है। इसमें सामने आया है कि बीते 45 साल में एक भी महीना ऐसा नहीं गुजरा जब मौसम सामान्य रहा हो जब मौसम (heat wave) में पीक इवेंट ना हुआ हो है। साल 2023 में ही 365 में 318 दिन पीक इंवेंट का रहा।
पीक इवेंट आशय मौसमी बदलाव जैसे बाढ़, बर्फबारी, अत्यधिक गर्मी, सर्दी से जुड़ी ऐसी घटनाओं से हैं जिनसें लोग अधिक प्रभावित होते हैं। देश के आठ राज्यों में एक्सट्रीम वेदर की 100 से अधिक घटनाएं रिकॉर्ड की गईं। इनमें हिमाचल प्रदेश शीर्ष पर रहा। राज्य में 149 दिन ऐसी घटनाएं हुईं। मध्य प्रदेश, केरल और यूपी भी उन राज्यों में शामिल रहे जहां इन घटनाओं ने लोगों को परेशान किया।