365 रानियों में किसके साथ बितानी है रात, लालटेन से चुनता था  ये राजा

आपने शराब के 'पटियाला बैग' का जिक्र अवश्य पार्टियों में सुना होगा। यह शब्द पटियाला के महाराजा भूपेंद्र सिंह की देन है, जो बेहद रंगीन मिजाज  के माने जाते थे।

भूपेंद्र सिंह अपनी रंगीन मिजाजी के कारण दुनिया को पटियाला पैग जैसे शब्द ही नहीं दे गए, बल्कि बहुत सारे किस्से-कहानियों भी छोड़ गए हैं।

भूपेंद्र सिंह किस कदर रंगीन मिजाज थे, ये जानने के लिए आपको उनके दीवान जरमन दास की लिखी किताब 'महाराजा' अवश्य पढ़नी चाहिए।

इसमें कहा गया है कि, भूपेंद्र सिंह को रास्ते में जो महिला-युवती पसंद आ जाती थी। वे तत्काल उसके घर पहुंचकर उससे विवाह कर लेते थे।

इस आदत के चलते महाराजा भूपेंद्र सिंह की 10 पटरानियों समेत 365 निजी देवदासियों थीं। जिन्हें पटियाला में भिन्न-भिन्न महल मिले हुए थे।

महाराज ने हर रानी के नाम की लालटेन बनवा रखी थी। सभी लालटेन को हर रात बराबर तेल भरकर पूरी रात के लिए  जलाया जाता था।

महाराजा रोजाना सुबह देखते थे कि, कौन सी लालटेन सबसे पहले बुझी है, उस लालटेन पर लिखे नाम वाली रानी ही उस रात पटरानी बनती थी।

महाराजा भूपेंद्र सिंह की इस रंगीन मिजाजी के कारण 88 संतान पैदा हुई थीं। हालांकि उनमें से महज 53 ही  जिंदा बच पाई थीं।

दीवान जरमन दास ने अपनी किताब में महाराजा की रंगीन मिजाजी के और भी किस्से बताए हैं, जिनमें से एक पटियाला के 'लीला भवन'  का भी है।

लीला भवन असल में रंगरेलियां का महल था, जिसके अंदर आने के लिए किसी भी पुरुष या महिला को अपने पूरे वस्त्र उतारकर नग्न होना पड़ता था।

लीला भवन पटियाला शहर में भूपेंद्रनगर जाने वाली सड़क पर बारहदरी बाग के करीब आज भी बना हुआ देखा जा  सकता है।

12 अक्टूबर, 1891 को जन्में भूपेंद्र सिंह 8 नवंबर, 1900 को महज 9 साल की उम्र में राजा बन गए थे। हालांकि उन्होंने राजगद्दी 18 साल का होने पर संभाली थी और 38 साल  राज किया था।

आज हम घरेलू क्रिकेट की जिस शानदार रणजी ट्रॉफी को देखते हैं, वो भी महाराजा भूपेंद्र सिंह ने ही महान क्रिकेटर केएस रंजीत सिंह जी को ट्रिब्यूट देने के लिए बीसीसीआई को गिफ्ट की थी।

टीम इंडिया का शुरुआती दौर में ज्यादात्तर खर्च उठाने वाले भूपेंद्र सिंह के प्रयास से ही मुंबई में ब्रेबोर्न स्टेडियम बना था, जहां पहला टेस्ट मैच खेला गया था।

भूपेंद्र सिंह ने ही भारत में क्रिकेट के पौधे को सींचकर वृक्ष बनाया था। उनकी कप्तानी में ही वर्ष 1911 में भारतीय क्रिकेट टीम ने पहली बार इंग्लैंड का अनॉफिशियल  टूर किया था।

भूपेंद्र सिंह दुनिया के आज तक के सबसे अमीर क्रिकेटर भी थे, जिनके नाम पर 22 हजार करोड़ रुपये की संपत्ति थी। जिनमें 44 रॉल्स रॉयस कार और 300 करोड़ रुपये का एक हार भी शामिल था।

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