caste reservation : आरक्षण के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि जिन जातियां आरक्षण (caste reservation ) से लाभान्वित हो चुकी है, उनको आरक्षण से बाहर कर देना चाहिए, ताकि दूसरे गरीब तबके को इसका लाभ मिल सके।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पिछड़ी जातियों में जो लोग आरक्षण के हकदार थे और इससे लाभान्वित भी हो चुके हैं, उन्हें अब आरक्षित कैटेगरी से बाहर निकलना चाहिए। साथ ही यह भी कहा कि उन्हें अधिक पिछड़ों के लिए रास्ता बनाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के 7 जजों की संविधान पीठ ने मंगलवार को ‘इस कानूनी सवाल की समीक्षा शुरू कर दी कि क्या राज्य सरकार को शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश और सरकारी नौकरियों में आरक्षण (caste reservation ) देने के लिए अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों में उप-वर्गीकरण करने का अधिकार है?’
संविधान पीठ ने सुनवाई के पहले दिन कहा कि वह 2004 के सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले की वैधता की समीक्षा करेगा, जिसमें कहा गया था कि राज्यों के पास आरक्षण देने के लिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को आगे उप-वर्गीकृत करने का अधिकार नहीं है।
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति विक्रम नाथ ने पंजाब के महाधिवक्ता गुरमिंदर सिंह की दलीलों का सारांश देते हुए कहा, “इन जातियों को बाहर क्यों नहीं निकालना चाहिए? आपके अनुसार एक विशेष वर्ग में कुछ उपजातियों ने बेहतर प्रदर्शन किया है।
वे उस श्रेणी में आगे हैं। उन्हें उससे बाहर आकर जनरल (caste reservation ) से मुकाबला करना चाहिए। वहां क्यों रहें? जो पिछड़े में अभी भी पिछड़े हैं, उन्हें आरक्षण मिलने दो। एक बार जब आप आरक्षण की अवधारणा को प्राप्त कर लेते हैं, तो आपको उस आरक्षण से बाहर निकल जाना चाहिए।”
महाधिवक्ता ने कहा, “यही उद्देश्य है। यदि वह लक्ष्य प्राप्त हो जाता है तो जिस उद्देश्य के लिए यह अभ्यास किया गया था वह समाप्त हो जाना चाहिए।”