nayab saini cm Haryana : लोकसभा चुनाव से पहले हरियाणा में सियासी खेल हो गया हैं। भाजपा जजपा गठबंधन टूटने के साथ ही हरियाणा के मुख्यमंत्री को बदल दिया हैं। मनोहरलाल खट्टर को हरियाणा के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है और उनकी जगह पर कुरुक्षेत्र से भाजपा के सांसद नायब सैनी हरियाणा के नए मुख्यमंत्री होंगे। नायब सैनी को विधायक दल की बैठक में नेता चुना गया है और शाम पांच बजे वह मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।
हालांकि नायब सैनी को मुख्यमंत्री का पद लेने के बाद गृह मंत्री अनिल विज नाराज दिखाई दिए और वह बैठक को बीच में छोड़कर चले गए। बताया जा रहा है कि अनिल विज भी विधायक दल की बैठक से निकलते ही अपनी सरकारी गाड़ी को छोड़ गए और वह निजी गाड़ी से अपने आवास के लिए निकल गए हैं। बताया जा रहा है कि मनोहरलाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने के बाद उनको केंद्र में लेकर जाने की तैयारी हैं और उनको करनाल लोकसभा से चुनावी मैदान में उतारा जा सकता हैं।
विधायक दल की बैठक सीएम मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई। सीएम मनोहर लाल खट्टर ने भी इस्तीफा दे दिया है। अब बैठक में ही तय होगा कि पार्टी चुनाव में मनोहर लाल के नेतृत्व में ही उतरेगी या कोई नया चेहरा सामने आएगा। सूत्रों की मानें तो सीएम मनोहर लाल इस्तीफा देने के बाद अब नायब सैनी को हरियाणा का मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। आइए जानते हैं कौन है नायब सैनी और वो क्यों सीएम रेस में सबसे आगे।
बता दें कि विधायक दल की मीटिंग से पूर्व गृहमंत्री अनिल विज नाराज हो कर निकल गए थे. उन्हें नायब सैनी के नाम पर एतराज था. विज छह बार के विधायक हैं, लेकिन उन्हें सीएम नहीं बनाया गया. पानीपत से भाजपा सांसद संजय भाटिया ने कहा कि नायब सैनी को नया सीएम बनाया गया है. उन्होंने एक सवाल पर कहा कि मनोहर लाल अब अब लोकसभा चुनाव लड़ेंगे, यह पार्टी तय करेगी. नायब सैनी के सीएम बनने पर मनोहर लाल ही सबसे अधिक खुश होंगे. उन्होंने कहा कि वह विधायक नहीं हैं और इसलिए मीटिंग में नहीं गए थे.
बता दें कि नायब सैनी हरियाणा में ओबीसी का चेहरा हैं. वह बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष के अलावा, कुरुक्षेत्र से भाजपा सासंद भी हैं. नायब सिंह सैनी ने प्रदेश महामंत्री के संगठन में हरियाणा बीजेपी के सहयोगी के रूप में साल 1996 से लेकर 2000 तक काम किया है. साल 2002 में युवा मोर्चा बीजेपी अंबाला से जिला महामंत्री बने थे. फिर साल 2005 में युवा मोर्चा भाजपा अंबाला में जिला अध्यक्ष रहे. नायब सिंह सैनी साल 2009 में बीजेपी किसान मोर्चा हरियाणा के प्रदेश महामंत्री के पद पर रहे. इसके बाद साल 2012 में बीजेपी अंबाला से जिलाध्यक्ष बने. साल 2014 में नारायण गढ़ विधानसभा से विधायक बने. फिर साल 2016 में हरियाणा सरकार में राज्य मंत्री रहे. वो साल 2019 में कुरुक्षेत्र से सांसद चुने गए थे. इसके बाद केंद्रीय नेतृत्व ने हरियाणा में बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष बनाया था
अब मनोहर लाल खट्टर का क्या होगा
मनोहर लाल खट्टर को लेकर कहा जा रहा है कि उन्हें पार्टी नेतृत्व बड़ी जिम्मेदारी देगा। उन्होंने करनाल से लोकसभा चुनाव लड़ाकर केंद्र में मंत्री बनाया जा सकता है। खट्टर को पीएम मोदी का करीबी माना जाता है और हाल के दिनों में पीएम मोदी कई बार खट्टर के काम की तारीफ कर चुके हैं।
हरियाणा का सियासी आंकड़ा
हरियाणा विधानसभा का गणित 90 सदस्यों वाली हरियाणा विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 46 है। बीजेपी के पास 41, जेजेपी के 10 और कांग्रेस के 30 विधायक हैं। इसके अलावा निर्दलीय 7, हरियाणा लोकहित पार्टी 1 और 1 इंडियन नेशनल लोकदल का विधायक है। 7 निर्दलीय विधायकों में से 6 भारतीय जनता पार्टी के साथ है। वहीं, गोपाल कांडा की हरियाणा लोकहित पार्टी भी बीजेपी के साथ है। यानी अब बात की जाए तो बीजेपी के साथ कुल 48 विधायक हैं। यह बहुमत के आंकड़े को पार करता है।
जेजेपी के साथ गठबंधन तोड़ना क्यों जरूरी हो गया था
हरियाणा में सीधी बात है कि जाट डिवाइडेट होगा तभी बीजेपी को फायदा होगा। पिछले चुनावों में भी जाटों का वोट बीजेपी को नहीं मिला था। बीजेपी ने भी एंटी जाट वोट के लिए रणनीति पर काम कर रही है। हरियाणा में जाट कांग्रेस के साथ हैं। कुछ वोट इनेलो भी ले जा सकती है। अगर जाट वोटों का एक और दावेदार आ जाए तो इसमें कोई दो राय नहीं कि बीजेपी का काम आसान हो जाएगा। जेजेपी के साथ होने से बीजेपी को कोई फायदा नहीं होने वाला था। जेजेपी अगर बीजेपी से अलग चुनाव लड़ती है तो पार्टी को ज्यादा फायदा हो सकता है। यह बात जितनी बीजेपी के लिए सही है उतना ही जेजेपी के लिए सही है।
जाटों की नाराजगी डिप्टी सीएम बनाकर दूर होगी
जाट आरक्षण हो या महिला पहलवानों का मुद्दा हो हरियाणा के जाटों के मन में बीजेपी को लेकर बहुत नाराजगी है। ओमप्रकाश धनखड़ को हरियाणा बीजेपी के अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद से ये नाराजगी और बढ़ चुकी है। धनखड़ उन लोगों में शामिल रहे हैं जिन्होंने बीजेपी को हरियाणा में मजबूत करने के लिए सबसे अधिक मेहनत की है। धनखड़ ही नहीं, कैप्टन अभिमन्यू, चौधरी बीरेंद्र सिंह आदि के साथ भी पार्टी ने न्याय नहीं किया। हरियाणा के कद्दावर जाट नेता और सर छोटू राम के नाती चौधरी वीरेंद्र सिंह और उनके पुत्र पूर्व आइएएस अधिकारी चौधरी बिजेंद्र सिंह को पहले मंत्री बनाया गया फिर किनारे लगा दिया गया। फिलहाल कुछ दिनों पहले ही चौधरी बिजेंद्र सिंह ने कांग्रेस ज्वाइन कर ली है।