Haryana Cm ने अनुसूचित जातियों के वर्गीकरण का दिया फैसला
Haryana Cm नायब सैनी ने नई सरकार बनाते ही अनुसूचित जाति के लोगों को बड़ा तोहफा दिया है। मुख्यमंत्री नायब सैनी ने शुक्रवार को कार्यकाल संभालते ही सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार अनुसूचित जातियों में वर्गीकरण के फैसले को लागू कर दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह फैसला तुरंत प्रभाव से लागू किया जाता हैं। हालांकि विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जातियों में वर्गीकरण करने के आदेश दिए थे और कहा था कि प्रदेश सरकार इस फैसले के अपने अनुसार लागू कर सकते हैं, लेकिन उसी समय हरियाणा में चुनाव आयोग की तरफ से आचार संहिता लागू कर दी और उस समय नायब सैनी इस फैसले को लागू नहीं कर पाए।
हालांकि उस समय हरियाणा सरकार की तरफ से चुनाव आयोग को पत्र लिखा था कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार अनुसूचित जातियों में वर्गीकरण को प्रदेश में लागू किया जाए, लेकिन चुनाव आयोग की तरफ से उस समय अनुमति नहीं मिली थी, लेकिन उस समय हरियााा सरकार के पत्र के आधार पर ही अनुसूचित जाति के लोगों का झुकाव भाजपा की तरफ हो गया था। चुनाव के बीच में अनुसूचित जातियों के विभिन्न संगठनों ने जींद में प्रदेश स्तरीय रैली की थी और उसमें निर्णय लिया था कि इस बार वह कांग्रेस की बजाए भाजपा को वोट देंगे
लेकिन अगर इसके बाद सरकार ने अनुसूचित जातियों में वर्गीकरण को लागू नहीं किया तो भविष्य में उसका खामियाजा भुगताना पड़ेगा, लेकिन नायब सैनी ने मुख्यमंत्री का पद संभालते ही इस फैसले को लागू कर दिया। शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए Haryana Cm नायब सैनी ने कहा कि अनुसूचित जातियों में वर्गीकरण को तुरंत प्रभाव से लागू कर दिया है और अनुसूचित जातियों को इसका लाभ तुरंत ही मिलना शुरू हो जाएगा। ज्ञात रहे कि अनुसूचित जातियों में वर्गीकरण में दो वर्गों में बांटा गया है।
इसमें एएसी ए व एससी बी का वर्गीकरण किया गया है। एससी समाज के लोगों की लंबे समय से मांग थी कि उनको आरक्षण का पूरा लाभ नहीं मिल रहा है, क्योंकि एससी वर्ग में ही शामिल कुछ जातिया इस आरक्षण का लाभ उठा रही हैं और उनके बच्चे नौकरियों से वंचित रह रहे हैं। हालांकि अनुसूचित जातियों में वर्गीकरण का कुछ जातिया विरोध कर रही थी और उनका कहना था कि सरकार ने यह फैसला अनुसूचित जातियों का बंटवारा करने के लिए किया गया है। इसके खिलाफ उन्होंने प्रदर्शन भी किया था, लेकिन सरकार अनुसूचित जातियों में वर्गीकरण के फैसले पर अडिग रही।