Breaking News: अमेरिका ने हाल ही में सीरिया के मध्य क्षेत्र में आईएसआईएस के ठिकानों पर सटीक हवाई हमले किए हैं। ये हमले 8 दिसंबर को उस दिन किए गए, जब सीरिया की राजधानी दमिश्क में बशर अल-असद के शासन का अंत हुआ और वह परिवार के साथ देश छोड़कर मॉस्को भाग गए। इस आर्टिकल में हम देखेंगे कि अमेरिका ने इन हवाई हमलों को क्यों अंजाम दिया और इस घटनाक्रम से सीरिया में क्या बदलाव हो सकते हैं।
अमेरिकी सेना ने सीरिया के मध्य क्षेत्र में 75 हवाई हमले किए, जिनमें आतंकवादी समूह आईएसआईएस के ठिकाने और आतंकवादियों को निशाना बनाया गया। अमेरिकी सेंट्रल कमांड के अनुसार, यह हमला आईएसआईएस के खिलाफ उस मिशन का हिस्सा था, जिसका उद्देश्य इस आतंकवादी समूह को बाहरी ऑपरेशनों से रोकना और मध्य सीरिया में फिर से संगठित होने से बचाना था।
इन हमलों में अमेरिकी वायु सेना के विमानों जैसे B-52, F-15 और A-10 का उपयोग किया गया था। अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, यह हमला सीरिया में आतंकवादियों की गतिविधियों को खत्म करने के लिए किया गया था।
8 दिसंबर, रविवार को सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद ने अपने परिवार के साथ देश छोड़ दिया और मॉस्को में शरण ली। इस घटना के साथ ही सीरिया में पिछले पांच दशकों से चले आ रहे असद परिवार के शासन का अंत हो गया। सीरिया में असद सरकार के पतन ने एक नए राजनीतिक दौर की शुरुआत की है, जिसके परिणामस्वरूप पूरे मध्य पूर्व में नई अस्थिरता और अनिश्चितता का दौर देखने को मिल सकता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस परिवर्तन को मध्य पूर्व के लिए एक “जोखिम और अनिश्चितता का क्षण” बताया है। उन्होंने चेतावनी दी कि आईएसआईएस इस स्थिति का फायदा उठाकर खुद को फिर से स्थापित करने की कोशिश करेगा, लेकिन अमेरिका इसे होने नहीं देगा।
सीरिया में लगभग 900 अमेरिकी सैनिक मौजूद हैं, जिनमें उत्तर-पूर्व सीरिया में कुर्द सहयोगियों के साथ काम करने वाली सेनाएं भी शामिल हैं। बाइडन ने यह पुष्टि की कि अमेरिकी सैनिक सीरिया में बने रहेंगे और आतंकवादी समूहों के खिलाफ अभियान जारी रखेंगे। अमेरिकी सरकार का यह उद्देश्य है कि आईएसआईएस जैसी आतंकवादी गतिविधियों को पूरी तरह से समाप्त किया जाए।
सीरिया में असद के शासन का अंत और अमेरिका के हवाई हमले इस बात का संकेत हैं कि सीरिया में एक नई राजनीतिक स्थिति उभर रही है। जहां एक ओर असद के समर्थक और विरोधी दोनों की स्थिति अस्थिर हो सकती है, वहीं दूसरी ओर आईएसआईएस जैसी आतंकवादी शक्तियां भी अपनी उपस्थिति फिर से बढ़ा सकती हैं।