जानें कौन से 14 नारे दिए थे नेता जी ने
Subhash chander boss : 23 जनवरी, 2024 को हम नेताजी के जन्म की 127 वीं वृषगांठ मना रहे हैं। नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक में एक सामान्य बंगाली परिवार में हुआ था। उनकी माता प्रभावती देवी तथा पिता जानकीनाथ बोस प्रसिद्ध वकील एवं बंगाल विधानसभा के सदस्य थे। वह अपने माता-पिता की नौवीं संतान थे।
उनकी माता प्रभावती देवी ने उनके मूल्यों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी जिसके कारण वो आगे जाकर भारतीय स्वतंत्रता के लिए प्रतिबद्ध होते हुए नेतृत्वान व संकल्पवान बना सके। कोलकाता तथा इंग्लैंड में पढ़ाई के बाद सफल प्रशासनिक सेवा में करियर के बावजूद नेताजी ने स्वयं को स्वतंत्रता संग्राम के लिए समर्पित कर दिया।
आजादी की लंबी लड़ाई में 11 बार अंग्रेजों की हुकूमत में कैद रहने के बावजूद वह दो बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे तथा बाद मे अपने दृष्टिकोण के कारण गांधी जी से विवाद होने के कारण उन्होंने फारवर्ड ब्लाक नामक संगठन की शुरुआत की जिसमें उन्होंने पूर्ण स्वतंत्रता के लिए किसी भी साधन का समर्थन करने की पहल की एवं उसकी आगे बढ़ाया।
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान नेताजी ने कई देशों की यात्रा की तथा जापान के समर्थन और रास बिहारी बोस के निमंत्रण पर 1943 में सिंगापुर में आजाद हिंद फौज का गठन किया। 1945 में जापान की यात्रा कर रहे थे तब उनका विमान कथित तौर पर ताइवान में दुर्घटनाग्रस्त हो गया लेकिन उनके अवशेष कभी नहीं मिले तो उनकी मौत एक रहस्य बनी हुई है जिसके लिए कई बार भारत सरकार में कमेटियों का गठन हुआ किंतु उनसे संबंधित स्पष्ट जानकारियां अभी तक आम जनता की पहुंच में नहीं है।
1985 तक गुमनामी बाबा के चर्चे भी भारत में कई जगह चलते रहे हैं ।। कुछ लोग आज भी उन्हीं गुमनामी बाबा को सुभाष चंद्र बोस ही मानते हैं और कहते हैं कि उनका वास्तविक निधन सितंबर 1985 में अयोध्या में हुआ था। आजादी के बाद उन्होंने अपना जीवन गुमनामी में ही व्यतीत किया ऐसा मानने वालों की संख्या में कोई कमी नहीं है किंतु सरकारों ने अभी तक उनके बारे में कुछ भी स्पष्ट नहीं कहा है।
22 जनवरी 2024 को अयोध्या में स्थापित श्री रामलला की मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार अरुण योगीराज ने ही 28 फीट ऊंची ,8 फीट चौड़ी, 65 टनी काले ग्रेनाइट की सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा (जिसे नेताजी प्रतिमा भी कहा जाता है) को बनाया था। इस प्रतिमा को 8 सितंबर 2022 को माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी जी ने दिल्ली, इंडिया गेट पर स्थापित करने के बाद राष्ट्र को समर्पित किया था।
“तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा “और “दिल्ली चलो “के अलावा भी उन्होंने महत्वपूर्ण नारे दिए जो निम्न है:-
1. हम जितनी देर लड़ेंगे हम उतने ही मजबूत बनेंगे
2. इतिहास में कोई भी वास्तविक परिवर्तन चर्चाओं से कभी हासिल नहीं हुआ है
3. राष्ट्रवाद मानव जाति के उच्चतम आदर्श सत्यम शिवम सुंदरम से प्रेरित है
4. कमजोर कभी माफ नहीं करते माफ करना ताकतवर का गुण है
5. देश केवल राजनीतिक स्वतंत्रता से संतुष्ट नहीं होगा.
6. दुश्मन के पास पहले से ही तलवार है इसलिए उसे तलवार से ही लड़ा जाना चाहिए
7. आजादी दी नहीं जाती, ली जाती है.
8. राजनीतिक सौदेबाजी का रहस्य है कि आप जो हैं उससे अधिक मजबूत दिखें।
9. इंसान आ सकते हैं इंसान जा सकते हैं लेकिन विचार हमेशा चलते रहते हैं।
10. भारत बुला रहा है खून खून को बुला रहा है उठो हमारे पास खोने के लिए समय नहीं है अपने हथियार उठाओ।
11. संघर्ष ने मुझे मनुष्य बनाया मुझ में आता हूं विश्वास उत्पन्न हुआ जो पहले मुझ में नहीं था
12. याद रखिए सबसे बड़ा अपराध अन्याय सहना और गलत के साथ समझौता करना है
13. समझौतापरस्ती बड़ी अपवित्र वस्तु है।
14. अपनी ताकत पर भरोसा करो उधर की ताकत तुम्हारे लिए घातक है।