केंद्र सरकार ने दिया फीडबैक, जानिए
Haryana Politics : लोकसभा चुनावों की सरगर्मियां तेज हो गई हैं। ऐसे में हरियाणा में भाजपा का जजपा के साथ गठबंधन रहेगा या नहीं, इसका फैसला जेजेपी पर ही छोड़ा गया है। भाजपा ने जेजेपी (Haryana Politics) के पाले में गेंद डालते हुए कहा है कि वह अपने सभी 10 सीटों पर उम्मीदवार उतार रहे हैं, जेजेपी की मर्जी है गठबंधन रखें या न रखें।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक हरियाणा में भाजपा अकेले ही चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है। केंद्र सरकार ने फीडबैक दिया है।
हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीटों पर बीजेपी अपने प्रत्याशी उतारेगी। इसको लेकर सूबे की ओर से केंद्रीय नेतृत्व को फीडबैक भी दे दिया गया है। हरियाणा में बीजेपी (Haryana Politics) ने 2019 में सभी 10 लोकसभा सीटें जीती थीं। अभी यहां 9 बीजेपी के सांसद हैं, एक अंबाला सीट सांसद के निधन के चलते खाली है।
ये है हरियाणा में भाजपा का प्लान
खास बात ये है कि बीजेपी हरियाणा में बिना गठबंधन के लोकसभा में जाने की तैयारी में है। बीजेपी राज्य की सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारकर गेंद जेजेपी के पाले में डाल देगी, जिससे ये संदेश ना जाए कि बीजेपी ने जेजेपी से गठबंधन तोड़ा है। बीजेपी का मानना है कि 10 की 10 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारने के बाद जेजेपी को गठबंधन को लेकर फैसला करना होगा कि उसे सरकार में बने रहना है या नहीं।
दिल्ली ये भेजा गया फीडबैक
हरियाणा को लेकर प्रदेश स्तर पर केंद्रीय नेतृत्व को फीडबैक दिया जा चुका है। इसमें बताया गया है कि हरियाणा में अभी भाजपा (Haryana Politics) के पक्ष में माहौल बना हुआ है। अयोध्या में श्रीराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद लोगों में अच्छा मैसेज गया है।
हाल ही में इसको लेकर पार्टी स्तर पर कराए गए सर्वे में भी 70% से अधिक लोगों ने इस फैसले की सराहना की है। साथ ही सभी 10 की 10 लोकसभा सीटों पर संभावित मजबूत दावेदारों का भी डाटा दिया गया है, जिसमें बताया गया है कि सभी सीटों पर पार्टी प्रत्याशियों की जीत निश्चित है।
विधानसभा में ज्यादा सीटें ऑफर करेगी
भाजपा नेतृत्व ने JJP को लेकर बी-फॉर्मूला भी बना रखा है। इसमें BJP लोकसभा की कोई सीट JJP को न देकर उसे विधानसभा चुनाव (Haryana Politics) में कुछ ज्यादा सीटें ऑफर कर सकती है। मनोहर सरकार के मंत्री डॉ. बनवारी लाल ने शनिवार को कह भी दिया कि उन्हें लोकसभा चुनाव में दोनों दलों के बीच गठबंधन की कोई संभावना नहीं लगती।
इसके अलावा हाल ही में हरियाणा में भाजपा अध्यक्ष नायब सैनी ने भी कहा है कि पार्टी सभी 10 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
BJP को दोनों तरह से फायदा
हरियाणा में छोटी पार्टी के साथ सीट शेयरिंग का फायदा क्या होगा? इस सवाल के जवाब में राजनीतिक विश्लेषक 2 बड़ी वजहें गिनवाते हैं। पहली वजह- यदि JJP लोकसभा सीट जीत जाती है तो प्रदेश में BJP (Haryana Politics) को एक मजबूत साथी मिल जाएगा। JJP का वोट बैंक जाटों में है जो भाजपा को पसंद नहीं करते।
अगर लोकसभा चुनाव में JJP की वजह से भाजपा को जाटों के एक-आध प्रतिशत वोट भी मिल गए तो यह प्लस का ही काम करेंगे।
दूसरी वजह- यदि JJP का कैंडिडेट लोकसभा चुनाव में हार जाता है तो लोकसभा चुनाव के 6 महीने बाद होने वाले प्रदेश विधानसभा के चुनाव में BJP को उससे गठबंधन तोड़ने या मोलभाव की वजह मिल जाएगी। BJP उस सूरत में JJP पर अपना दबाव बढ़ा पाएगी। इस समय JJP के 10 विधायक मनोहर सरकार के साथ हैं।
लोकसभा चुनाव में JJP का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक न रहने पर यदि BJP उसके साथ गठबंधन तोड़ने की तरफ बढ़ी तो भी 5 निर्दलीय विधायक साथ होने के चलते सरकार पर कोई खतरा नहीं होगा।