Kisan Andolan: पंजाब-हरियाणा सीमा पर स्थित शंभू बार्डर पर किसान लंबे समय से कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। अब किसानों ने दिल्ली कूच के लिए एक नई रणनीति तैयार की है। 6 दिसंबर को किसानों ने दिल्ली जाने के लिए पैदल मार्च की शुरुआत की थी, लेकिन हरियाणा पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए आंसू गैस के गोले दागे और पेपर स्प्रे का इस्तेमाल किया। इसके बावजूद, किसान आंदोलन में तेज़ी आ गई है और अब 8 दिसंबर को किसान एक बार फिर दिल्ली की ओर बढ़ने की योजना बना रहे हैं।
6 दिसंबर को किसान शंभू बार्डर से दिल्ली कूच के लिए निकले थे, लेकिन हरियाणा पुलिस ने उन्हें आगे बढ़ने नहीं दिया। इस संघर्ष के दौरान कई किसान घायल हो गए और पुलिस ने उन्हें नियंत्रण में करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया। हालांकि, किसान नेताओं ने इसे स्थगित कर दिया और 8 दिसंबर को फिर से दिल्ली कूच की योजना बनाई है।
किसान नेता श्रवण सिंह पंधेर ने केंद्र सरकार को 7 दिसंबर तक की डेडलाइन दी है। उनका कहना है कि यदि केंद्र सरकार का मंत्री, विशेष रूप से कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, उनसे बातचीत नहीं करते हैं, तो किसान 8 दिसंबर को दोपहर 12 बजे फिर से दिल्ली के लिए कूच करेंगे।
श्रवण सिंह ने यह भी कहा कि उन्होंने पुलिस से इस मामले को ऊपर तक पहुंचाने का भरोसा लिया है। उनका कहना है कि वे किसी भी प्रकार के टकराव से बचने की कोशिश करेंगे, और अगर सरकार से कोई समाधान नहीं निकलता है तो वे 8 दिसंबर को फिर से दिल्ली कूच करेंगे।
इस संघर्ष और वार्ता के बीच, किसान आंदोलन को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। किसान अब सरकार से अपनी मांगों को लेकर बातचीत की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन यदि 7 दिसंबर तक कोई समाधान नहीं निकलता, तो किसानों का दिल्ली कूच और भी तेज हो सकता है।
आंदोलन का लक्ष्य केवल कृषि कानूनों को वापस करवाना है, लेकिन इसके साथ ही किसानों का कहना है कि उन्हें अन्य मुद्दों पर भी समाधान चाहिए, जैसे एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और सरकारी समर्थन।
किसान केंद्र द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं।किसानों का कहना है कि उन्हें उनकी उपज का उचित मूल्य मिले, इसके लिए एमएसपी की गारंटी होनी चाहिए। किसानों का मानना है कि सरकार को कृषि संकट पर गहरी चर्चा करनी चाहिए.
किसान आंदोलन के इस मोड़ पर अब 8 दिसंबर को किसान फिर से दिल्ली की ओर बढ़ने की योजना बना रहे हैं। किसान नेताओं का कहना है कि अगर इस दिन भी सरकार से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो आंदोलन और तेज हो सकता है।
किसान संगठन और नेता लगातार सरकार पर दबाव बना रहे हैं कि वे उनकी बातों को सुने और उन्हें उनके अधिकार दे। इस बीच, हरियाणा पुलिस और अन्य राज्यों की सरकारें भी स्थिति को संभालने के लिए तैयारी कर रही हैं।