Hope to make Brijendra Singh CM : समर्थकों के साथ बैठक में बृजेंद्र सिंह को बताया भावी सीएम
Hope to make Brijendra Singh CM Haryana: राजनीति में ट्रेजडी किंग के नाम से प्रसिद्ध बीरेंद्र सिंह स्वयं मुख्यमंत्री नहीं बन सके। अब उन्होंने बेटे व पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह को भावी मुख्यमंत्री बताया है। बीरेंद्र सिंह 40 साल से बांगर में चौधर (स्वयं मुख्यमंत्री) के नाम पर ही राजनीति करते आए हैं। 10 सालों तक भाजपा में रहते हुए भी बीरेंद्र सिंह यही राग अलापते रहे और अब दोबारा कांग्रेस में आने के बाद बात वहीं से शुरू कर दी है।
जींद में कार्यकर्ताओं की बैठक (Jind Birender singh meeting) के बाद बीरेंद्र सिंह ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के पिता चौधरी रणबीर सिंह का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने (चौधरी रणबीर सिंह) लोगों को कहा कि वे स्वयं मुख्यमंत्री नहीं बन सके तो क्या हुआ। उनका बेटा (भूपेंद्र हुड्डा) मुख्यमंत्री बन गया है। यह कहते हुए बीरेंद्र सिंह ने साथ बैठे बृजेंद्र सिंह की ओर भी इशारा किया। साथ ही यह भी कहा कि अब लोग खुद समझ लें।
बीरेंद्र सिंह कांग्रेस में प्रभावशाली होने के साथ-साथ गांधी परिवार के भी बेहद नजदीक रहे हैं। 1991 में जब लोकसभा व विधानसभा का चुनाव एक साथ हुआ तो जींद में चुनाव प्रचार करने पहुंचे राजीव गांधी बीरेंद्र सिंह को अपने साथ हैलीकाप्टर में लेकर आए थे। इतना ही नहीं तब राजीव गांधी ने जींद के अर्जुन स्टेडियम में हुई जनसभा के दौरान बीरेंद्र सिंह को अपने साथ बैठाया, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल दूसरी पंक्ति में बैठे थे। इसके कुछ दिन बाद ही राजीव गांधी की मौत हो गई और बीरेंद्र सिंह मुख्यमंत्री नहीं बन सके।
इसके बाद से लगातार बीरेंद्र सिंह खुद को मुख्यमंत्री के रूप में पेश कर चुनाव लड़ते रहे हैं। इसके चलते ही उन्हें ट्रेजडी किंग का नाम दिया गया। बेशक बीरेंद्र सिंह उचाना से चुनाव जीतते रहे, लेकिन मुख्यमंत्री नहीं बनने का मलाल उन्हें आज भी है। यही कारण है कि बीरेंद्र सिंह ने अब अपने बेटे पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह को मुख्यमंत्री बनाने के सपने (Next CM haryana Brijender Singh) देखने शुरू कर दिए हैं।
उचाना से बाहर नहीं छोड़ पाए बड़ा प्रभाव
बीरेंद्र सिंह प्रदेश की राजनीति में सर्वमान्य नेता चौधरी छोटूराम के नाती हैं। बीरेंद्र सिंह को ही चौधरी छोटूराम का राजनीतिक वारिश भी माना जाता है, लेकिन वे उचाना से बाहर बड़े नेता के रूप में अपनी प्रभावी छवि नहीं बना पाए। कांग्रेस में रहते भी बीरेंद्र सिंह तीन-तीन राज्यों के प्रभारी, राज्यसभा सदस्य व महासचिव रहे हैं। इसके बाद प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में बीरेंद्र सिंह अपनी पैठ नहीं बना सके।
लोकसभा सीट गई अब विधानसभा पर नजर
लोकसभा चुनाव में भाजपा व कांग्रेस ने बीरेंद्र सिंह परिवार को टिकट नहीं दिया। अब बीरेंद्र सिंह विधानसभा चुनाव पर नजर लगाए हैं। रविवार को हुई कार्यकर्ताओं की बैठक में बेटे का मुख्यमंत्री पद का दावेदार बताकर साफ कर दिया है कि अब उनका बेटा उचाना से उनकी राजनीतिक विरासत को संभालेगा।