Jind election mudda : स्वास्थ्य सेवाएं : डाक्टरों के 222 में 134 पद खाली, मेडिकल कालेज शुरू होने के बाद राहत की उम्मीद

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Jind election issue: Health services: 134 out of 222 posts of doctors are vacant, hope of relief after starting of medical college.

Jind election mudda : तीन साल पहले 18 बेड का बना आइसीयू स्टाफ की कमी से नहीं हुआ शुरू

Jind election mudda : जींद : यहां स्वास्थ्य सेवाएं स्वयं ही बीमार हैं। इसके इलाज के लिए बीते हर चुनावों में वादों के इंजेक्शन खूब लगे, लेकिन इलाज नहीं हो पाया। इस बार फिर चुनावों के बीच यह मुद्दा बन गया है। जिले में रेफर ही इलाज बना हुआ है। गंभीर मरीजों को पीजीआइ रोहतक या खानपुर मेडिकल कालेज रेफर करके इलाज की इतिश्री कर दी जाती है।

ग्रामीणों क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं बढ़ाने के लिए करोड़ों रुपये की लगात से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व उप स्वास्थ्य केंद्रों के भवनों का निर्माण तो हुआ, लेकिन वहां पर डाक्टरों की तैनाती नहीं होने से स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार नहीं हो पाया। जिले में मेडिकल कालेज का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है और उसके शुरू होने के बाद जिले में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार होने की उम्मीद है।

पांच साल में जिले में 11 स्वास्थ्य संस्थाओं के भवन की निर्माण हुआ है, जबकि नागरिक अस्पताल पुराना भवन जींद, नरवाना, सफीदों सहित 30 संस्थाओं के भवन खराब हो चुके हैं, लेकिन इनको बजट (Jind election mudda) नहीं मिल पाया है। इसके अलावा जिले में 19 उप स्वास्थ्य केंद्र ऐसे हैं जिनकी भूमि पंचायत के नाम पर हैं और इसको स्वास्थ्य विभाग को ट्रांसफर नहीं करने के कारण नया भवन नहीं बन पाया है। 11 उप स्वास्थ्य केंद्रों के भवनों का निर्माण हुआ हैं, लेकिन यहां पर भी स्टाफ की कमी के कारण मरीजों को सुविधा नहीं मिल रही।

जिले की जनसंख्या करीब 14 लाख पहुंच चुकी है। इतनी आबादी के हिसाब से अस्पताल में चिकित्सकों की भारी कमी है। डाक्टरों के 222 पद मंजूर हैं, जबकि फिलहाल मात्र 88 डाक्टर सेवाएं दे रहे हैं। मुख्यालय पर नागरिक अस्पताल में 55 चिकित्सकों के पद स्वीकृत हैं। इनमें से फिलहाल 22 चिकित्सक अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इसी तरह जिले में एसएमओ के 20 पद स्वीकृत हैं, लेकिन आठ ही एसएमओ तैनात हैं।

विभाग का प्रशासनिक कार्य देखने के लिए जिले में नौ डिप्टी सिविल सर्जनों के पद स्वीकृत हैं, लेकिन दो ही डिप्टी सिविल सर्जनों की तैनाती हैं। ऐसे में विभाग ने प्रशासनिक कार्य चलाने के लिए एसएमओ या एमओ को डिप्टी सिविल सर्जन के पद पर तैनात किया गया है। इसके चलते प्रशासनिक (Jind election mudda) कार्य देख रहे इन चिकित्सा अधिकारी मरीजों को चेकअप नहीं कर पाते हैं।

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Jind election issue: Health services: 134 out of 222 posts of doctors are vacant, hope of relief after starting of medical college.
Jind election issue: Health services: 134 out of 222 posts of doctors are vacant, hope of relief after starting of medical college.

 

नागरिक अस्पताल में प्रतिदिन लगभग 1500 मरीज अपना इलाज कराने आते हैं। इतने मरीजों को देखने के लिए चिकित्सकों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। केवल दंत विभाग में ही आराम से मरीज देखे जाते हैं, बाकी विभागों में मरीजों को जल्दी-जल्दी देखा जाता है। इसे केवल खानापूर्ति ही कहा जा सकता है। नागरिक अस्पताल की फिजिशियन व महिला रोग विशेषज्ञ की ओपीडी में इलाज के लिए मारामारी रहती है।

प्रतिदिन इस विभाग में 300 के लगभग मरीज आते हैं। अस्पताल में एक ही फिजिशियन व एक महिला रोग विशेषज्ञ मौजूद हैं। इसके साथ ही अस्पताल में न तो स्किन स्पेशलिस्ट है और न ही हड्डी रोग विशेषज्ञ। इस कारण यहां आने वाले मरीजों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस कारण यहां आने (Jind election mudda) वाले मरीजों को दूसरे जिलों का रुख करना पड़ता है। जरा सी हालत गंभीर होते ही यहां से मरीज को रेफर कर दिया जाता है।

 

एमपीएचडब्ल्यू के सहारे चल रही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र
जिले में आठ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और 25 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनाए गए हैं। जहां पर सामुदायिक केंद्रों पर एक-एक डाक्टर की नियुक्ति की गई है, जबकि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एमपीएचडब्ल्यू के सहारे चल रही है। इन केंद्रों पर मरीजों प्राथमिक उपचार भी नहीं मिल पाता है और मरीजों को इलाज के लिए मुख्यालय आना पड़ता है।

 

अल्ट्रासाउंड की मरीजों को नहीं मिल रही सुविधा
नागरिक अस्पताल में लंबे समय से रेडियोलाजिस्ट का पद खाली पड़ा हुआ है, जिस कारण अल्ट्रासाउंड नहीं हो रहे हैं। ऐसे में मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों और लैब में अल्ट्रासाउंड करवाने पड़ रहे हैं, जिसके लिए छह सौ से 1000 रुपये तक जेब कटवानी पड़ रही है। नागरिक अस्पताल प्रशासन की तरफ से सिर्फ गर्भवती महिलाओं को निजी अल्ट्रासाउंड में मुफ्त की सुविधा मिल रही है। जबकि सामान्य रोग के लिए मरीजों निजी अस्पतालों (Jind election mudda) में महंगे रेट पर अल्ट्रासाउंड करवाना पड़ रहा है या मरीजों को अल्ट्रासाउंड के लिए रोहतक व खानपुर जाना पड़ता है।

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मरीजों को नहीं मिल रही पूरी दवाई
नागरिक अस्पताल में बजट के अभाव में दवाइयों का टोटा बना रहता है। फिलहाल भी अस्पताल में गैस बनने के रोगियों, एलर्जी, आंखों की दवाई में टोटा बना हुआ है। जबकि विभाग द्वारा खरीदी गई दवाइयों का बजट भी मुख्यालय से नहीं मिला है। इसके कारण करीब दो करोड़ के आसपास दवाई एजेंसियों की बकाया है।

अस्पताल प्रशासन की ढाई करोड़ की डिमांड पर मुख्यालय ने 90 लाख का बजट भेजा था। उसके बाद कुछ दिन तो अस्पताल से राहत मिली, लेकिन अब फिर से वहीं हालात बनने शुरू हो गए।

 

तीन साल बाद भी मरीजों को नहीं मिली आइसीयू की सुविधा
नागरिक अस्पताल के पुराने भवन में लगभग तीन साल पहले बने आइसीयू की सुविधा मरीजों को अब तक नहीं मिली है। आइसीयू के निर्माण पर दो करोड़ रुपये की राशि खर्च की गई थी। जहां पर भवन की मरम्मत करके आइसीयू के अंदर सभी सुविधा लगा दी थी। आइसीयू में 18 बेड की सुविधा दी गई है। इसमें चार बेड बच्चों के लिए हैं। आइसीयू शुरू नहीं होने के कारण यह वेंटिलेटर धूल फांक रहे हैं।

 

वहीं जिन गंभीर मरीजों को आइसीयू की जरूरत होती है, उनको रोहतक पीजीआइ रेफर किया जाता है। समय पर आइसीयू की सुविधा नहीं मिलने के कारण मरीज की मौत भी हो जाती है। 18 बेड के आइसीयू को चलाने में करीब 20 स्टाफ नर्स व इतने ही चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की जरूरत होगी, लेकिन अस्पताल के पास पहले ही पैरा मेडिकल स्टाफ की कमी है। इसके अलावा आठ चिकित्सकों की भी जरूरत हैं, लेकिन विभाग के पास अस्पताल की सामान्य ओपीडी चलाने तक के डाक्टर नहीं है। इसके कारण आइसीयू बनाने के बाद भी मरीजों को सुविधा नहीं मिल पा रही है।

 

मेडिकल कालेज शुरू होने के बाद राहत की उम्मीद
गांव हैबतपुर के निकट मेडिकल कालेज का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है। चुनावी आचार संहिता हटते ही मेडिकल कालेज के शुरू होने की उम्मीद है। मेडिकल कालेज में विशेषज्ञ चिकित्सक के अलावा मरीजों को आधुनिक सुविधओं का लाभ मिलेगा। इसके बाद मरीजों को इलाज के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा। मेडिकल कालेज की घोषणा मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने 2014 में की थी।

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गांव हैबतपुर में 24 एकड़ जमीन सरकार को मिली और इसके निर्माण का रास्ता साफ हुआ। 2020 तक मेडिकल कालेज निर्माण तथा जमीन का मामला फंसा रहा। 2020 में मेडिकल कालेज का निर्माण कार्य शुरू हो पाया। अब यहां पर 19 मंजिला भवन बन रहे हैं। पहले चरण में ओपीडी तथा चिकित्सकों के लिए कक्ष का (Jind election mudda) लगभग काम पूरा हो चुका है। इसलिए आचार संहिता हटते ही यहां पर नियुक्तियों का काम शुरू हो जाएगा। मेडिकल कालेज डायरेक्टर समेत लगभग एक हजार पदों पर नियुक्ति होगी।

 

वर्जन
डाक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए मुख्यालय को पत्र लिखा गया है। चिकित्सकों की उपलब्धता के हिसाब से मरीजों को बेहतर सेवा देने का प्रयास किया जा रहा हैं। पिछले दिनों भी विभाग द्वारा डाक्टर भेजे गए थे। अब भी उम्मीद है कि जल्द ही यहां पर डाक्टरों की तैनाती की जाएगी।
-डा. गोपाल गोयल, सिविल सर्जन, जींद।

सुझाव
1. भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के (Jind election mudda) तहत सभी मापदंड पूरे हो।
2. महंगी हुई चिकित्सा शिक्षा पर कंट्रोल होना चाहिए। ज्यादा महंगी शिक्षा होने से आर्थिक रूप से कमजोर युवा इस क्षेत्र से वंचित रह जाते हैं।
3. सरकारी संस्थानों में चिकित्स व स्वास्थ्य कर्मियों की कमी को पूरा करने के लिए शिक्षण संस्थाओं में सीट बढ़ानी चाहिए।
4. स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में आधुनिक भवन का निर्माण किया जाए।
5. जनसंख्या के अनुपात के हिसाब से नए पद स्वीकृत किए जाएं और उन पर नियुक्तियां की जाए।

 

सांसद ने केंद्रीय बजट से कोई बड़ा उपकरण नहीं जुटा पाए। अस्पताल में कोरोना की दूसरी लहर के बाद पीएम केयर फंड से आक्सीजन प्लांट लगाया गया था, लेकिन वह एक दिन भी नहीं चल पाया। इसके अलावा केंद्र की तरफ से वेटिलेंटर दिए गए थे, लेकिन वह भी चालू नहीं पाए हैं। स्वास्थ्य सेवाएं सुधारने के लिए वह केंद्र से कोई भी बड़ा बजट नहीं दिला पाए।

 


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