Jind news : 1500 से ज्यादा स्कूल बसें लेकिन जांच के लिए पहुंची मात्र 43 बसें, इनमें भी 50 प्रतिशत में मिली कमी

Clin Bold News
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Jind News : प्रशासन द्वारा निजी स्कूल संचालकों को बसों की फिटनेस जांच के लिए दिया समय समाप्त

 

Jind news : महेंद्रगढ़ के कनीना में स्कूल बस हादसे के बाद जिला प्रशासन ने सभी स्कूल संचालकों को अपनी बसों की फिटनेस जांच करवाने के लिए 28 अप्रैल तक का समय दिया था, जो अब समाप्त हो गया है। जिले में 1500 से ज्यादा स्कूली बसें हैं, जिनमें से फिटनेस जांच के लिए मात्र 43 बसें ही पहुंची और इनमें से भी 50 प्रतिशत बसों में खामियां मिली। सूत्रों की मानें तो 30 प्रतिशत बसों में अभी भी खामियां हैं लेकिन विभाग दोबारा से बसों की जांच का अभियान शुरू किया जाएगा या नहीं, इसे लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है।

 

बता दें कि 11अप्रैल को कनीना (Kanina shcool bus accident)  के पास स्कूल बस हादसे में आठ स्कूली बच्चों की मौत हो गई थी। इसके बाद सभी जिलों में डीटीओ (DTO) और यातायात पुलिस ने मिलकर तीन दिन में 105 बसों की जांच करते हुए 25 बसों को इम्पाउंड कर दिया था और करीब 46 बसों के चालान किए थे। इसके बाद स्कूल संचालक डीसी मोहम्मद इमरान रजा (DC Mohammad Imran Raja) से मिले थे। डीसी मोहम्मद इमरान रजा ने निजी स्कूल संचालकों के साथ बैठक में निर्देश दिए थे कि जिले में कहीं पर भी 10 वर्ष से ज्यादा पुरानी स्कूल बस नहीं चलने दी जाएगी। बाद में 28 अप्रैल तक का समय फिटनेस जांच के लिए जिला परिवहन अधिकारी ने स्कूल बस संचालकों को दिया था। इस अवधि में केवल 43 स्कूल बसें ही फिटनेस जांच (Bus fitness test) के लिए पहुंची हैं। रविवार को अंतिम दिन एक निजी बस का चालक फिटनेस जांच के लिए एकलव्य स्टेडियम के पास पहुंचा था लेकिन दिन भर इंतजार के बाद भी उसकी बस की जांच नहीं हुई।

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इस दिन इतनी बसों की हुई जांच (Fitness test of bus in jind)

17 अप्रैल को : आठ बसों की जांच, सभी बसें अनफिट मिली थी।

28 अप्रैल को : 18 बसों की जांच की गई, चार बसों में खामियां मिली थी।

21 अप्रैल को : किसी भी बस की जांच नहीं हुई।

27 और 28 अप्रैल को : 14 बसों की जांच हुई, दो बसें अनफिट मिली।

 

स्कूल बसों में ये मिल रही खामियां

निजी स्कूल बसों में सीसीटीवी कैमरा, जीपीएस और स्पीड गवर्नर नहीं मिला। इसके अलावा टायरों में कमियां (Jind news) तो बस के अंदर का फर्श भी कई बसों का कमजोर मिला है। कुछ स्कूल संचालकों को 10 साल से भी पुरानी बसें चला रहे हैं, जो कंडम घोषित हो चुकी हैं। ग्रामीण क्षेत्र के निजी स्कूलों की बसें ज्यादा खस्ता हालत में मिल रही हैं। इसके अलावा कुछ स्कूल संचालकों ने बच्चों के लिए सफेद रंग की वैन लगवा रखी है, जिसमें बच्चों के लिए हेल्पर की व्यवस्था भी नहीं है।

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जिले भर में 400 से ज्यादा निजी स्कूल, 1500 से ज्यादा बसें (400 Private shchool in jind)

जिलेभर में करीब 400 निजी स्कूल (Jind me private school) हैं और इन स्कूलों में विद्यार्थियों को लाने और ले जाने के लिए 1500 से ज्यादा बसें हैं। 30 प्रतिशत के करीब बसें विभागीय नियमों को पूरा नहीं कर रही। इसके बावजूद भी स्कूल संचालक अपनी बसों की फिटनेस जांच के लिए आगे नहीं आ रहे। कुछ स्कूल संचालकों द्वारा ही बसों की फिटनेस जांच करवाई है। इसके अलावा कुछ स्कूल संचालक नई बसें भी खरीद रहे हैं और पुरानी बसों को खड़ा कर दिया है।

 

 

ये कहती है विभाग की पालिसी (Transport Policy)

विभागीय पालिसी (RTA Policy) के तहत स्कूल बसों में सुरक्षा मापदंड में स्कूल बस पीले रंग की और उस पर नीले गहरे रंग की पट्टी अनिवार्य है। आगे सफेद चमकीली, पीछे लाल व दोनों साइडों में पीले रंग की रिफ्लेक्टर पट्टी होनी चाहिए। बस का परमिट, पंजीकरण प्रमाणपत्र, बीमा, प्रदूषण प्रमाण-पत्र दस्तावेज पूरे हों। चालक अनुभवी और उसके साथ महिला सहायक व एक परिचालक भी होना चाहिए। गति नियंत्रण करने के लिए स्पीड गर्वनर हों। बस के आगे और पीछे स्कूल बस, स्कूल संचालक, पुलिस कंट्रोल नंबर व चाइल्ड हेल्प लाइन नंबर लिखे हों। बसों में सीसीटीवी हों, इनकी 15 दिन की रिकार्डिंग क्षमता होनी चाहिए। बस में जीपीएस का होना अनिवार्य है। चालक को कम से कम पांच साल का अनुभव होना चाहिए और इन पांच सालों में तीन बार से अधिक चालान नहीं कटा होना चाहिए। ड्यूटी के समय चालक-परिचालक अपनी वर्दी में हों। कमीज पर नेम प्लेट हो। बस पर हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगा होना भी जरूरी है।

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परिवहन आयुक्त द्वारा निर्धारित किए गए फिटनेस जांच के दौरान कम ही स्कूल संचालकों ने रुचि दिखाई है। ऐसे में अगर फिटनेस जांच के लिए आयुक्त द्वारा दोबारा से कोई शेड्यूल जारी किया जाता है तो फिर से बसों की फिटनेस जांच की जाएगी। वहीं जो प्राइवेट स्कूली बस व कैब सुरक्षित वाहन पालिसी का पालन नहीं करेंगी, उनके चालान किए जाएंगे।

–संजीव कौशिक, मोटर वाहन अधिकारी, जींद।

 


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