हर साल अभियान (Jind news) के नाम पर लाखों खर्च, फिर भी सड़कों से नहीं हट पाया बेसहारा गोवंश
Jind news ; जींद : लोकसभा चुनाव में मुद्दे अहम रहेंगे। जींद जिले में बेसहारा गोवंशी की समस्या बड़ा मुद्दा है। जिनके कारण जिले में काफी हादसे हो चुके हैं, जिनमें कई लोगों की जान जा चुकी है और बड़ी संख्या में लोग घायल हुए हैं। वहीं हादसों में कई गोवंशी की भी जान गई है। सरकार ने सड़काें को बेसहारा गोवंशी से मुक्त करने का फैसला लिया था। इसके लिए डेडलाइन भी निर्धारित की गई और उसकी तारीख भी बढ़ाई जाती रही। लेकिन सड़कों को पूरी तरह से बेसहारा गोवंशी मुक्त नहीं बनाया जा सका।
शहरों (Jind news) में तो नगर परिषद और नगर पालिकाएं बेसहारा गोवंशी को पकड़ने के लिए अभियान चलाती हैं। सड़कों से बेसहारा गोवंशी को पकड़ कर नंदीशाला और गोशालाओं में भेजा जाता है। जब तक अभियान चलता है, इसका असर दिखता है। जैसे ही अभियान बंद होता है, दोबारा शहर की सड़कों पर बसहारा गोवंशी की संख्या बढ़ जाती है। जिलेभर में तीन हजार से ज्यादा गोवंशी बेसहारा घूम रहा है। गांवों में तो बेसहारा गोवंशी की समस्या और भी ज्यादा गंभीर है। बेसहारा गोवंशी फसलों में नुकसान पहुंचाते हैं।
खासकर रबी की फसल गेहूं में नुकसान ज्यादा पहुंचाते हैं। नुकसान से बचने के लिए किसानों को सर्दियों में रातभर जागकर फसल की रखवाली करनी पड़ती है। गांवों में बेसहारा गोवंशी पकड़ने के लिए सरकार व प्रशासन की तरफ से कोई अभियान भी नहीं चलाया जाता है। जब फसलों में नुकसान ज्यादा होने लगता है, तो किसान अपने स्तर पर गांव से बेसहारा गोवंशी को एकत्रित करके शहर (Jind news) की तरफ छोड़ कर चले जाते हैं।
जिससे दोबारा शहर में बेसहारा गोवंशी की संख्या बढ़ जाती है। जींद शहर की बात करें, तो पिछले कुछ साल से हर बार गोवंशी पकड़ने के लिए अभियान (Jind news) चलाया जाता है। जिस पर लाखों रुपये खर्च हो चुके हैं।
बेसहारा छोड़ने वालों पर कार्रवाई नहीं
डेयरी संचालक और पशुपालक देशी नस्ल के साथ-साथ संकर नस्ल की ज्यादा दूध देने वाली गाय रखते हैं। जब ये गाय दूध देना बंद कर देती हैं या बीमार हो जाती हैं, तब इन्हें सड़कों पर छोड़ देते हैं। प्रशासन द्वारा चेतावनी दी जाती है कि जिसका भी पालतू पशु सड़क पर खुले में घूमते पाया गया, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जोकि चेतावनी (Jind news) तक ही सीमित है, किसी पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही।
संसाधनों का अभाव
जिले में 42 गोशाला और नंदीशाला हैं। जहां 32 हजार से ज्यादा गोवंशी हैं। कुछ गोशालाओं को छोड़कर बाकी के पास संसाधनों का अभाव है। पर्याप्त जमीन नहीं है, जिससे पशुओं के लिए चारा उपलब्ध हो सके। ऐसे में ये गोशालाएं दानी सज्जनों के भरोसे ही चल रही हैं। फसल कटाई के समय किसानों से तूड़ी और धान की पराली गोशाला संचालक एकत्रित करते हैं। जरूरत के अनुसार पूर्ति नहीं होने पर तूड़ी व चारा खरीदना पड़ता है। सरकार की तरफ (Jind news) से प्रति गोवंशी के हिसाब जो अनुदान राशि मिलती है, वो बहुत कम होती है।
अभियान को बनाया धंधा : समुंद्र फोर
माजरा खाप के प्रवक्ता समुंद्र फोर ने बताया कि नगर परिषद ने बेसहारा गोवंशी पकड़ने के लिए तीन साल पहले जब नगर परिषद ने 700 रुपये ठेका दिया था, तब माजरा खाप ने इसका विरोध किया था। तब प्रशासन ने (Jind news) ठेका राशि 480 रुपये कर दी थी। अब अचानक 480 से बढ़ाकर 1300 रुपये के हिसाब से ठेका दे दिया।
ये अभियान को धंधा बना दिया गया है। गोशालाओं में बेसहारा गोवंशी भेजने से पहले चारे का प्रबंध करना चाहिए। सरकार गोशालाओं को नगद राशि देने की बजाय चारे की व्यवस्था करे। बेसहारा गोवंशी खेतों में गेहूं की फसल को बर्बाद कर देते हैं। धान की नर्सरी को भी बेसहारा गोवंशी खा जाते हैं।
चारे के लिए गोशालाओं को सरकार दे रही पैसा
हरियाणा गो सेवा आयोग के चेयरमैन श्रवण गर्ग ने बताया कि जो भी गोशाला बेसहारा गोवंशी लेगी। उसे प्रतिदिन 20 रुपये बछड़े, 30 रुपये गाय व 40 रुपये नंदी के हिसाब से दिए जाएंगे। वहीं 100 गोवंशी पर सात लाख रुपये संसाधनों के लिए दे रहे हैं। जिस गोशाला ने जितने बेसहारा गोवंशी सड़क से लिए हैं, उसका डाटा (Jind news) पोर्टल पर डाल दें। सरकार उसके हिसाब से गोशाला को बजट देगी। इस साल के अंत तक प्रदेश में कोई भी बेसहारा गाय पर सड़क पर नहीं रहेगी।