Jind Unemployed youth story : हरियाणा में युवाओं का पूरा हाल है। रोजगार के लिए किसी ने किसी कंपनी में दर-दर ठोकर खा रहे है। यहां युवाओं को किसी कोने से नौकरी न मिलने के कारण वे विदेशों की ओर रुख करने लगे है। हरियाणा के युवा नौकरी के लिए ऐसे देशों में जाने के लिए विवश हो रहे है, जहां मौजूदा दौर में युद्ध चल रहा है। दरअसल इस वर्ष जनवरी में इजरायल में निर्माण कार्यों की भर्ती के लिए हरियाणा सरकार के विज्ञापन के बाद जींद से सैकड़ो लोग रोहतक में एक शिविर में लाईन में खड़े हो गए थे। बता दें कि, फरवरी में सरकार ने जिले से 26 युवाओं का चयन किया, जिसमें राज्य में सबसे अधिक रजिस्टर्ड बेरोजगार लोग थे, उन्हें इजरायल ले जाया गया। दरअसल, इन युवाओं को करीब 1 लाख रुपये प्रति माह कमाने की आशा थी। कुल मिलाकर बात ये है कि, सभी जिलों से 219 युवाओं को सिलेक्ट किया गया और इनमें से 23 ने पहले ही इजरायल में काम करना शुरु कर दिया था, जिसमें जींद के भी दो लोग शामिल है।
इजरायल में रह रहे युवाओं ने बताई अपनी आपबीत्ती
हरियाणा से इजरायल गए बेरोजगार युवाओं (Jind Unemployed youth story) ने वहां का अपना अनुभव साझा किया है। हाल ही में गाजा पर इजरायल के युद्ध और पश्चिम एशिया में तनाव के अतिरिक्त चुने गए 24 लोगों के साथ एक ग्रुप वीडियो कॉन्प्रेसिंग कॉल के दौरान सबने पास-पास यही बात दुहराई जैसे हम यहां नहीं रह सकते, यहां कोई नौकरी नहीं है। लास्ट माह जब बढ़ते तनाव के कारण इजरायल के लिए उड़ानें प्रभावित हुई थीं, तो वीडियो कॉल में शामिल लोगों ने कई तरह की संभावनाएं शेयर की थीं। उनमें से एक ने पूछा, वें उड़ान संचालन कब फिर स्टार्ट करेंगे ? वहीं दूसरे ने पूछा, वे उड़ानों का रास्ता क्यों नी बदल सकते ?
ठेके पर भी नी मिलता रोजगार
इजरायल हालात इतने खराब हैं कि, वहां लोगों ठेके पर निर्माण कार्य भी नी मिलता। हरियाणा के जींद जिला (Jind Unemployed youth story) के मोहनपुर गांव के निवासी और राजमिस्त्री साजन कुमार बताते हैं कि, स्थायी नौकरी तो भूल ही जाइए, हमें यहां ठेके पर निर्माण कार्य भी नहीं मिल रहा है। यदि हम भाग्यशाली रहे, तो हममें से कुछ को 15 दिन का काम मिल सकता है। मगर इस काम से परिवार के लिए गुजारा भी नहीं होगा। दरअसल, उन्हें और उनके चार भाइयों को पिछले 3 माह से काम नहीं मिला था।
उनके क्षेत्र में एक मजदूर को प्रतिदिन 500 रुपये और एक सुपरवाइजर को 800 रुपये मिलते हैं। बल्कि 20 दिन के काम के लिए उन्हें करीब 10,000 रुपये और 16,000 रुपये मिलते हैं। कुमार कहते हैं कि, उनके 18 सदस्यों वाले परिवारों के खर्चे तो बढ़ गए हैं, मगर मजदूरी नहीं बढ़ी है।
भूख में कैसे गुजारा चलता है, इसके बारे में उन्होनें कहा कि, हमें मुफ्त राशन मिलता है, मगर यह 10 दिनों में खत्म हो जाता है। मैं परिवार का सबसे बुजुर्ग सदस्य हूं और मेरे पास घर छोड़ने के अतिरिक्त को जारा नहीं है। उन्होंने इजरायल जाने के लिए 68 हजार रुपये का टिकट खरीदा है, जो उन्होंने गांव के एक साहूकार से उधार लिया था। उनकी पत्नी सुनीता, उनके भाई और उनकी पत्नियों ने मनेरगा के लिए पंजीकरण कराया है, मगर उन्हें 10 दिनों से भी कम काम मिला है।
कांग्रेस भी भाजपा से बेहत्तर नही ?
जबकि हरियाणा (Jind Unemployed youth story) में मनरेगा योजना के तहत सबसे ज्यादा मजदूरी 374 रुपये प्रतिदिन है। लाभार्थियों का दावा है कि, पर्याप्त कार्य दिवसों की कमी का अर्थ है कि कुल इनकम बहुत ज्यादा नहीं है। कुमार कहते हैं, मैनें 2014 और 2019 में मोदी को वोट दिया था। मगर अब मेरी वही सोच नहीं है। उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में हमारे लिए कुछ नहीं हुआ है, जबकि कांग्रेस भी इससे बेहतर नहीं है। उन्होनें वर्षों तक हरियाणा पर शासन किया है, मगर हमें मिला क्या ?
लास्ट ईयर अगस्त में हरियाणा सरकार ने कहा था कि, 22 जिलों में 5.4 लाख से ज्यादा बेरोजगार युवाओं ने अलग-अलग रोजगार विभागों में पंजीकरण कराया है। 52 हजार 89 पंजीकरण के साथ जींद पहले स्थान पर रहा है। जींद के जीवनपुर निवासी अमरदीप प्रशिक्षित राजमिस्त्री हैं। मगर नौकरी न मिलने पर उन्होंने ट्रैक्टर ट्रॉली चलाना शुरु कर दिया है, जिसके लिए प्रतिदिन 4 हजार रुपये मिलते है, जिसमें से आधा पर खर्च हो जाता है। मगर यह नौकरी साल में सिर्फ 15 दिन ही मिलती है।