Indian Constitution New rules News : 1 जुलाई को भारतीय कानून सहिंता आलेख तथा संविधान में कुछ कानूनों में संशोधन कानून और कुछ नए कानून लागू होंगे। पाठकों को बता दें कि, हत्या मतलब धारा 302 और धोखाधड़ी मतलब धारा 420 तकरीबन सभी जानते हैं, मगर अब एक जुलाई से हत्या का मतलब धारा 302 नहीं बल्कि धारा 103 और धोखाधड़ी का मतलब धारा 420 नहीं, बल्कि धारा 316 होगा। जबकि, अपराध और न्याय प्रणाली से जुड़े भारत के 3 कानूनों में बड़ा परिवर्तन होने जा रहा है। इस परिवर्तन के बाद अपराध से संबंधित धाराओं,उनकी विवेचना और न्यायिक प्रक्रिया में बड़ा परिवर्तन देखने मिलेगा। ब्रिटिशकाल से चले आ रहे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code),भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) और भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) में बड़े पैमाने पर परिवर्तन किए गए हैं। अब इन कानूनों के नए नाम भी होंगे, जिनमें भारतीय कानून संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता नए नाम हो जाएंगे। इन कानूनों के लागू होने के पहले मध्यप्रदेश में पुलिस को प्रशिक्षित किया जा रहा है,ताकि अपराधिक विवेचना में कोई गलती ना हो। सागर स्थित जवाहरलाल नेहरू पुलिस अकादमी और पुलिस ट्रेनिंग स्कूल में इन दिनों प्रशिक्षण चल रहा है।
भारतीय न्याय संहिता कानून 2023
पाठकों को बता दें कि, भारतीय न्याय संहिता 2023 (Indian Constitution New rules News) जो नया कानून है, ये भारतीय दंड संहिता 1860 (Indian Penal Code) की स्थान लेगा। विशेष बात ये है कि Indian Penal Code -1860 में 511 धाराएं थी, लेकिन नए कानून भारतीय न्याय संहिता में केवल 358 धाराएं हैं। भारतीय न्याय संहिता में राजद्रोह की धारा हटा दी गयी है, लेकिन भारत की संप्रभुता,एकता और अखंडता के खिलाफ अलगाववाद या विद्रोह फैलाने की प्रयास के लिए राष्ट्रद्रोह के अंतर्गत परिभाषित किया गया है। नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म और माॅब लिंचिंग जैसे अपराध में मौत की सजा का प्रावधान है।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता कानून 2023
पाठकों को बता दें कि, भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता- 1973 Criminal Procedure Code(CRPC) की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता- 2023 ले लेगी। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में Criminal की 484 धाराओं के मुकाबले 531 धाराएं हैं। कानून में किए गए परिर्वतन अपराध की विवेचना से लेकर न्यायिक प्रक्रिया में तेजी लाएंगे। इसमें मामलों की तय समय में जांच और सुनवाई का प्रावधान किया गया है. खास बात ये है कि जांच और सुनवाई पूरी होने के बाद 30 दिन के अंतर फैसला देने का प्रावधान भी है। यौन अपराध से जुड़े मामलों में पीड़ितों के बयान की वीडियोग्राफी आवश्यक कर दी गयी है। अपराध में संलिप्तता पाए जाने पर संपत्ति कुर्क करने के लिए इस कानून में नया प्रावधान किया गया है।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम कानून 2023
पाठकों को बता दें कि, ये नया कानून (Indian Constitution New rules News) भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) 1872 के स्थान पर लागू होगा। नए कानून में 170 धाराएं हैं, जबकि Indian Evidence Act में 167 धाराएं थीं। अब अदालत में इलेक्ट्रानिक और डिजिटल सपूत पेश किए जा सकेंगे। जिनमें स्मार्टफोन, लैपटॉप, एसएमएस, वेबसाइट, मेल, इलेक्ट्रानिक उपकरण, कंप्यूटर, डिजिटल रिकॉर्ड, ईमेल और सर्वर लॉग को पेश और स्वीकृत किया जा सकेगा। इनकी मान्यता कागज में रखे जाने वाले रिकार्ड के समकक्ष होगी। नए कानून के तहत केस डायरी, एफआईआर, आरोप पत्र और प्रकरण से संबंधित सभी जानकारी का डिजिटिलाइजेशन किया जाएगा।
नए कानून में राजद्रोह की धारा हटी
पाठकों को गौरतलब है कि, भारतीय दंड संहिता 1860 का जगह लेने जा रही भारतीय न्याय संहिता (Indian Constitution New rules News) में राजद्रोह की धारा को खत्म किया गया है, मगर देश की एकता अखंडता और संप्रभुता को खतरा पहुंचाने,अलगाववाद और विद्रोह की कोशिश को राष्ट्रद्रोह के अंतर्गत परिभाषित किया गया है। देश को नुकसान पहुंचाने के लिए विस्फोटक पदार्थ और जहरीली वस्तुओं का उपयोग करने पर आतंकवाद की धाराओं में मुकदमा चलेगा। सजा और कानूनी प्रक्रिया से बचने के लिए विदेश भागने वालों पर मुकदमा चल सकेगा। यदि पुलिस विदेश में बैठे अपराधी को तय समय में नहीं पकड पाएगी,तो भी कोर्ट में प्रकरण पेश किया जा सकेगा। राजद्रोह के मामले में आईपीसी की धारा 124 -ए नए कानून के तहत धारा 150 के रूप में पहचानी जाएगी। भारत सरकार के खिलाफ उकसाने और युद्ध छेड़ने जैसे प्रयास पर आईपीसी की धारा 121 के तहत प्रावधान था, मगर अब ये धारा 146 कहलाएगी।
महिला अपराध संबंधित नया कानून
महिलाओं के साथ होने वाले अपराध के मामलों में कानून (Indian Constitution New rules News) को सख्त और महिला वर्ग को ध्यान में रखकर प्रावधान किए गए हैं। नए प्रावधान के तहत किसी महिला के साथ हुए दुष्कर्म की घटना में पीड़िता देश के किसी भी राज्य में कहीं भी शून्य पर केस दर्ज करा सकेगी। अब तक ये व्यवस्था राज्य स्तर पर लागू थी, मगर अब ये राष्ट्रीय स्तर पर लागू होगी। वहीं यौन अपराध से जुड़े मामले में प्रावधान किया गया है कि यौन संबंधों के लिए पहचान छिपाना और झूठे वादे अपराध की श्रेणी में माने जाएंगे। नाबालिग बच्चियों से दुष्कर्म को पॉक्सो एक्ट के साथ जोड़ दिया गया है, जिसमें आजीवन कारावास या मौत की सजा का प्रावधान किया गया है। सामूहिक दुष्कर्म के मामलों में 20 साल की कैद और आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है। आईपीसी में बलात्कार का मामला धारा 376 के अंतर्गत आता था, अब ये धारा 63 के अंतर्गत जाना जाएगा और धारा 64 में सजा के प्रावधान हैं। सामूहिक दुष्कर्म के मामले धारा 70 के अंतर्गत आएंगे।
जघन्य एवं गंभीर अपराध में 3 साल के अंदर ही न्याय
नए कानून के जरिए गंभीर अपराध के मामले में विवेचना और न्यायिक प्रक्रिया को लंबा नहीं खींचा जा सकेगा। कानून में परिवर्तन की वजह से अब गंभीर अपराधों में 3 साल के अंदर ही न्याय प्रदान करना होगा। पुलिस की विवेचना में देरी और मनमर्जी पर अंकुश लगाने के लिए नयी धाराएं बनाकर प्रावधान किया गया है। इसके जरिए तय समय सीमा में विवेचना, तलाशी और जब्ती की वीडियोग्राफी, गिरफ्तार आरोपियों के बारे में परिजनों को सूचना देना आवश्यक किया गया है।
पीड़ितों और गवाहों को राहत वाले प्रावधान
नए कानूनों (Indian Constitution New rules News) के जरिये पीड़ितों और गवाहों की परेशानियों को ध्यान में रखकर कई प्रावधान किए गए हैं। अब किसी मामले में कोई गवाह घर बैठकर वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से बयान दर्ज करा सकेगा। न्यायलाय जाने की आवश्यकता नहीं होगी। 3 साल से कम सजा वाले केस और 60 से ज्यादा उम्र वालों से पूछताछ के लिए मजिस्ट्रेट की परमिशन आवश्यक होगी। 7 साल से ज्यादा सजा के मामलों में फोरेसिंक रिपोर्ट आवश्यक होगी। 7 वर्ष से अधिक सजा के केस में पुलिस हथकड़ी लगाने के लिए आजाद रहेगी।
हिट एंड रन मामलों में सजा के बारें में
पाठकों को बता दें कि, सड़क दुर्घटना से संबंधित हिट एंड रन मामले में अब दोषी को 10 साल तक की सजा भुगतनी होगी। पहले सिर्फ दो वर्ष कारावास की सजा होती थी, जिसे बढ़ाकर 10 वर्ष कर दिया है। दरअसल हत्या जैसे अपराध से बचने के लिए हिट एंड रन जैसे केस तेजी से बढ़ रहे हैं।
सजा में समाजसेवा जैसे प्रावधान
साल 2023 के नए कानूनों (Indian Constitution New rules News) के मुताबिक, विदेशों की तर्ज पर कोर्ट अब अपराधी को समाजसेवा से जुड़ी सजा सुना सकता है। साफ सफाई, वृद्धाश्रम और अस्पताल में सेवा कार्य और पौध रोपण जैसे काम सजा के तौर पर सुनाने का प्रावधान किया गया है।