Code of conduct : हरियाणा में आचार संहिता लागू, अधिकारियों से लेकर आम लोगों और नेताओं के लिए नियम तय, आप भी न करें ये गलतियां

देखें किस पर कौन से आदेश होंगे लागू

Code of conduct : लोकसभा चुनावों की शनिवार शाम को घोषणा हो गई। सात चरणों में चुनाव होंगे और चार जून को नतीजे आएंगे। रविवार शाम से ही देश और प्रदेश में आचार संहिता लागू हो गई। आचार संहिता में जहां विकास का पहिया थम जाता है तो वहीं नेताओं से लेकर उम्मीदवारों, अधिकारियों, कर्मचारियों और आम लोगों के लिए नियम तय हो जाते हैं।

चुनाव आयोग ने बताया गया है इन ढाई महीनों में वे क्या कर सकते हैं और क्या नहीं कर सकते। सरकार को भी ये निर्देश मानने हाेंगे। इसके उल्लंघन पर कार्रवाई का भी प्रावधान रखा गया है। ये निर्देश चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक लागू रहेंगे। आचार संहिता लागू होने के बाद राज्य की सैनी सरकार कोई नई घोषणा भी नहीं कर सकेगी। जानिए राज्य सरकार व उम्मीदवार कौन से कार्य कर सकते हैं और कौन से नहीं।

 

राजतीतिक दल व उम्मीदवारों के लिए :-

उम्मीदवार ऐसा बयान नहीं दे सकता जिससे किसी व्यक्ति की शालीनता और नैतिकता का हनन होता हो। कोई भी उम्मीदवार ऐसी गतिविधि में शामिल नहीं होगा कि जो आपसी घृणा पैदा करे और वोट हासिल करने के लिए जाति या सांप्रदायिक आधार पर कोई अपील नहीं करेगा।

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सार्वजनिक या निजी स्थान पर सभा आयोजित करने, जुलूस निकालने और लाउडस्पीकर इस्तेमाल करने से पहले स्थानीय पुलिस अधिकारियों से लिखित अनुमति लेना जरूरी है।

रात 10.00 बजे से प्रात: 6.00 बजे के बीच लाउडस्पीकर का इस्तेमाल नहीं कर सकते।
किसी के घर पर उसकी अनुमति के बिना पोस्टर, बैनर या झंडा नहीं लगा सकता।
राजनीतिक दल मतदाताओं (Code of conduct) को मतदान केंद्र तक पहुंचने के लिए अपनी गाड़ी की सुविधा भी नहीं दे सकते।
मतदाता को अपने पक्ष में मतदान कराने के लिए डरा या धमका नहीं सकते हैं।
धार्मिक स्थलों का चुनाव प्रचार के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकते।

 

सरकार के मंत्री-विधायक ये काम नहीं कर सकते :-

मुख्यमंत्री अपने जिला अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग नहीं कर सकते।
सरकारी या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के अतिथि गृहों में ठहरने की व्यवस्था नहीं होगी।
किसी भी रूप में किसी भी वित्तीय अनुदान की घोषणा नहीं करेंगे और न ही वादा करेंगे।
किसी परियोजनाओं या योजनाओं की आधारशिला नहीं रखेंगे।
सड़क बनवाने, पीने के पानी को लेकर काम शुरू करवाने का वादा भी नहीं कर सकते।
मंत्री अपने आधिकारिक दौरे के समय चुनाव प्रचार नहीं कर सकते।

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प्रचार के लिए सरकारी गाड़ियों, विमानों या किसी दूसरे सुविधाओं का भी इस्तेमाल नहीं कर सकते।
सरकारी खर्च पर चुनावी रैली या चुनाव प्रचार नहीं कर सकते।
सरकारी वाहनों का इस्तेमाल सिर्फ अपने निवास से लेकर दफ्तर तक कर सकते हैं।
सरकारी खर्चे पर कोई पार्टी या इफ्तार पार्टी का आयोजन नहीं कर सकते।
सत्ताधारी पार्टी सरकारी पैसे से सरकार के काम का प्रचार-प्रसार नहीं कर सकती।
विधायक या मंत्री अपने विकास फंड (Code of conduct) से कोई नई राशि नहीं जारी कर सकते।

 

अधिकारियों को मानने होंगे ये नियम :-

किसी भी सरकारी अधिकारी, कर्मचारी की ट्रांसफर या नियुक्ति नहीं होगी।
यदि तबादला करना बेहद जरूरी है तो चुनाव आयोग से स्वीकृति लेनी होगी।
चुनाव कार्यों से जुड़े अधिकारी को किसी भी नेता या मंत्री से उसकी निजी यात्रा या आवास में मिलने की मनाही होगी।
सरकार की उपलब्धियों वाले लगे हुए होर्डिंग्स व बैनर को हटाना होगा।
सरकारी भवनों में पीएम, सीएम, मंत्री, राजनीतिक व्यक्तियों के फोटो निषेध होंगे।
सरकार की उपलब्धियों वाले प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और अन्य मीडिया में विज्ञापन नहीं दे सकेंगे।

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विकास पर ये पड़ेगा असर :-

कोई भी नया सरकारी काम शुरू नहीं होगा। किसी नए काम के लिए टेंडर भी जारी नहीं होंगे।
यदि किसी योजना की हरी झंडी पहले मिल चुकी है, लेकिन उसका काम शुरू नहीं हो सका तो आचार संहिता (Code of conduct) लागू होने के बाद उस काम को शुरू नहीं किया जा सकेगा।
सबसे पॉवरफुल होता है जिला निर्वाचन अधिकारी चुनाव आचार संहिता लागू होते ही जिला उपायुक्त के पास जिला निर्वाचन अधिकारी की पावर आ जाती है। जिले के अंदर कोई रैली जिला उपायुक्त की स्वीकृति के बिना नहीं होती। यहां तक कि प्रधानमंत्री की रैली या रोड शो भी उपायुक्त की स्वीकृति के बिना नहीं निकाल सकते।